सोने के लिए कौन सी दिशा मानी जाती है उत्तम, क्या कहता है वास्तुशास्त्र...
यह तो सभी जानते हैं कि नींद का संबंध सीधे हमारी सेहत से होता है। जहां पूरी और सुकून भरी नींद लेने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है तो वहीं यदि सही प्रकार से न सो पाने के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वास्तु और हमारे शास्त्रों में भी शयन (सोना) से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। कई बार हम पूरे दिन के थके हुए होते हैं और ऐसे ही जाकर सो जाते हैं। जो कि स्वाथ्य के लिए तो नुकसानदायक होता ही है साथ ही में आपको कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। वास्तु कहता है कि व्यक्ति किस दिशा में सोता है, इस बात का प्रभाव उसकी सेहत और आर्थिक स्थिति दोनों पर पड़ता है इसलिए सही दिशा में सोना आवश्यक है। तो चलिए जानते हैं सोने के सही नियम और दिशा।
-वास्तु के अनुसार पूर्व की दिशा की और सिर करके सोना शुभ रहता है। इस दिशा में सिर करके सोने से सकारात्मकता में बढ़ोत्तरी होती है। पूर्व दिशा की ओर सोने से पठन-पाठन में भी एकाग्रता बढ़ती है।
-वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा की तरफ सिर करके सोना भी लाभप्रद रहता है। इस दिशा की ओर सिर करके सोने से यश कीर्ति में बढ़ोत्तरी होती है।
-वास्तु में वैसे तो उत्तर दिशा को बहुत ही शुभ दिशा माना गया है लेकिन इस दिशा की ओर सिर करके सोना स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं रहता है। इस दिशा की ओर सिर करके सोने से शरीर में रोग पनपते हैं।
-दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सोना भी फायदेमंद रहता है। इस दिशा में सिर करके सोने से नकारात्मक विचार नहीं आते हैं साथ ही तनाव भी नहीं रहता है। इसके अलावा दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है। किसी प्रकार से धन की कमी नहीं होती है।
शास्त्रों के अनुसार सोने के नियम
-कभी भी टूटी खाट, टूटे पलंग, मैले बिस्तर और जूठे मुंह नहीं सोना चाहिए।
-कभी भी निर्वस्त्र होकर नहीं सोना चाहिए।
-ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार दिन में तथा सूर्योदय के बाद तक एवं सूर्यास्त के समय नहीं सोना चाहिए। इससे शरीर में सोने से शरीर में रोग पनपते हैं और दरिद्रता आती है।
-कभी भी सूने-निर्जन घर, श्मशान, मंदिर के गर्भगृह और अंधेरे कमरे में शयन नहीं करना चाहिए।
-कभी भी बिस्तर पर बैठकर खाना नहीं चाहिए।
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