भगवान कब, कैसे मिलेंगे (भाग - 5)
विश्व के पंचम मूल जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से नि:सृत प्रवचन श्रृंखला
(पिछले भाग से आगे...)
भगवान सब जगह समान रुप से व्याप्त हैं। वह बद्रीनारायण वाले भगवान कोई बड़े भगवान हैं? आपकी बगल में भी मंदिर होगा मुहल्ले में, वहां क्या छोटे भगवान होते हैं? और आपके हृदय में हैं वह क्या कोई और भगवान हैं? वही एक भगवान हैं। उसको मानो। यह मानने का अभ्यास करना होगा, क्योंकि निरन्तर मानना होगा।
जैसे अपनी मां को, अपने पिता को, अपनी पत्नी को, अपने पति को, अपने बेटे को हर समय मानते हो, ऐसे ही अपने प्रभु को भी सदा सर्वत्र रियलाइज करो, महसूस करो। ऐसा करने से भगवत्प्राप्ति करतलगत हो जायेगी, कुछ करना धरना नहीं है। और तुमने एक घंटा कीर्तन किया, भजन किया, पूजन किया हर 23 घंटा भूल गये। ऐसे तो पाप होगा। क्योंकि तुम स्वतंत्र हो गये, अब तुम्हें डर नहीं रहा भगवान का। अब तुमने यह नहीं माना कि हर समय हमारे साथ हैं। तो इसका अभ्यास करो। माना कि एक दिन में नहीं हो जायेगा, एक साल में होगा, दस साल में होगा, एक जन्म में होगा, दस जन्म में होगा, यह करना होगा। छुट्टी नहीं मिलेगी ऐसे।
भगवान की प्राप्ति के बिना न माया जायेगी, न चौरासी लाख का चक्कर जायेगा। भले ही तुम पागलों की तरह बोलो, अरे! जो होगा देखा जायेगा। संसार में तो ऐसा कभी नहीं कहते। भूख लगी तो खाना चाहिये। अरे! हटाओ कौन खाये, ऐसा सोचा कभी? न। उसके लिये प्रयास करते हैं आप, चाहे जैसे हो, जहां से हो, सीधे न, टेढ़े हो, पाप करके भी पेट भरो। तो जब शरीर के लिये इतनी चिंता और प्रैक्टिस, ये सब करते हो तो आत्मा के लिये क्यों नहीं करते? उसको क्यों ऐसा समझ रखा है कि देखा जायेगा? तो हमको ध्यान से समझ कर और अभ्यास करना चाहिये, धीरे-धीरे, निराशा नहीं लानी चाहिये।
(क्रमश:... शेष प्रवचन अगले भाग में)
Leave A Comment