संत-महापुरुषों एवं गुरु के द्वारा, या भगवान के जो वस्त्र, आभूषण व उच्छिष्ट आदि प्रसादी वस्तुयें दी जाती हैं, उसका क्या महत्व है?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 331
साधक का प्रश्न ::: प्रसादी वस्त्र इत्यादि सामान जो दिया जाता है, उसका क्या महत्व है?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर - उद्धव से अधिक प्रसाद का विवेचन कौन करेगा, कौन समझेगा। उद्धव इतने बड़े ज्ञानी कि भगवान को कहना पड़ा - 'नोद्धवोण्वपि मन्न्यूनः'। उद्धव मुझसे थोड़ा भी कम नहीं है। सम्पूर्ण ज्ञान वैराग्य प्रेम आदि से युक्त है। वे उद्धव कहते हैं कि ये बड़े बड़े ज्ञानी, ध्यानी और वेदों के बताये हुये साधनों से सम्पन्न, करोड़ों कल्प में भी माया को नहीं जीत सके। तुलसीदास जी कहते हैं;
नारद भव विरंचि सनकादी।
जे मुनि नायक आतमवादी।।
मोह न अंध कीन कहु केही।
को जग काम नचाव न जेही।।
नारद, ब्रह्मा, विष्णु, शंकर ये सब बड़ी बड़ी पर्सनैलिटीज माया को नहीं जीत सकीं।
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते।
(गीता 7-14)
गीता में चैलेंज है भगवान का - 'अर्जुन जो मेरी शरण में आयेगा उसकी माया को को मैं भगाऊँगा'। अपनी साधना से कोई नहीं भगा सकता। वे उद्धव जी कहते हैं;
त्वयोपभुक्तस्त्रग्गन्धवासोलंकारचर्चिता:।
उच्छिष्टभोजिनो दासास्तव मायां जयेमहि।।
(भागवत 11-6-46)
श्रीकृष्ण को चैलेंज कर रहे हैं उद्धव, आपके द्वारा प्रयोग किया हुआ, 'त्वयोपभुक्त', माला, गंध, इत्र वगैरह, वस्त्र-पीताम्बर वगैरह, अलंकार - कोई भी जेवर, जो प्रसाद रूप में आपके द्वारा दिया जाता है और सबसे बड़ी चीज उच्छिष्ट भोजन, आपका उच्छिष्ट, कोई भी सामान - खाने-पीने का सामान, पहनने का सामान, इनका प्रयोग करके मैंने माया को जीत लिया महाराज! ये बड़ी बड़ी साधना वाले पतन को प्राप्त हो गये। लेकिन हम चैलेंज करते हैं माया को, खाली प्रसाद के सेवन से।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'साधन साध्य' पत्रिका, अक्टूबर 2013 अंक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)
Leave A Comment