जगदगुरुत्तम श्रीमुखारविन्द
विश्व के पंचम मूल जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से नि:सृत प्रवचनों में से 5 अनमोल वचन
(1) परमार्थ का जो भी काम करो उसमें ये समझो कि ये भगवान और गुरु की कृपा ने करा लिया, वरना मैं करता भला?
(2) ये मन दुश्मन है, इससे सदा सावधान रहो। मन को सदा हरि गुरु के चिंतन में लगाये रहो तो मन शुद्ध होगा। भगवान कहते हैं सदा सर्वत्र मेरा स्मरण करते रहो ताकि मरते समय मेरा स्मरण हो और तुम्हें मेरा लोक मिले, मेरी सेवा मिले।
(3) भगवान की सेवा से भगवान की कृपा मिलेगी, उनका प्यार मिलेगा, अंत:करण शुद्ध होगा और वे तुम्हारा योगक्षेम वहन करेंगे।
(4) जिस किसी भी संग के द्वारा हमारा भगवद्विषय में मनबुद्धि-युक्त लगाव हो वही सत्संग है। इसके अतिरिक्त समस्त विषय कुसंग है।
(5) किसी नास्तिक को भी देखकर मिथ्याभिमान न करना चाहिये कि यह तो कुछ नहीं जानता, मैं तो बहुत आगे बढ़ चुका हूं।
(सभी वचन जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा नि:सृत है। ये जगद्गुरु कृपालु परिषत एवं राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के सर्वाधिकार में प्रकाशित साधन साध्य पत्रिका से लिये गये हैं।)
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