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 गुरु-पूर्णिमा : जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज; जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व में आध्यात्मिक क्रान्ति लाकर अज्ञान के अंधकार को मिटा दिया!!
Happy Guru Purnima 2021
आप सभी को 'श्री गुरु पूर्णिमा' महापर्व की अनंत अनंत शुभकामनायें!!

श्री गुरु चरणों में गोविन्द राधे,
पूर्ण प्रपत्ति गुरु पूर्णिमा बता दे..
(जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)

आज 'गुरु-पूर्णिमा' का महानतम पर्व है। सभी पर्वों में यह महापर्व है। 'गुरु' का स्थान सर्वोच्च है। अतएव शरणागत जीव/साधक के लिये यह निश्चय ही सबसे बड़ा पर्व है। अपने गुरुदेव की कृपाओं का, प्रेम का, अपनत्व का स्मरण करके बारम्बार बलिहार जाने और उनके सिद्धान्तों का भी मनन करते हुये अपनी स्थिति का आकलन करते हुये अपने उत्थान के लिये और अधिक दृढ़ संकल्पित होकर उन सिद्धान्तों के अनुकूल चलने हेतु प्रतिबद्ध होने का महान अवसर है।

भारतवर्ष में यद्यपि अनंतानंत महापुरुष अवतरित हुये हैं। वर्ष 1922 की शरद-पूर्णिमा की शुभरात्रि में इलाहाबाद के निकट मनगढ़ नामक ग्राम में माता भगवती की गोद में एक अलौकिक महापुरुष का प्राकट्य हुआ, जिन्हें आज समस्त विश्व 'जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज' के रूप में पहचानता है। आज कौन उनकी विद्वत्ता, उनकी राधाकृष्ण के परम माधुर्य महाभाव भक्तिरस में छकी रूप माधुरी, उनकी कृपाओं और न जाने कितने ही गुणों से परिचित नहीं है। उन्होंने अपने अगाध ज्ञानसमुद्र से इस विश्व में अद्वितीय आध्यात्मिक क्रान्ति लाई और हमारे अज्ञान अंधकार को दूर कर भगवान के परमोज्जवल प्रेम और सेवा का मार्ग दिखलाया है।

'जो अज्ञान का नाश करके ज्ञान का प्रकाश कर दे'
वही गुरु है, महापुरुष है!! स्वयं श्रीकृष्ण द्वारा यह घोषणा की गई है कि गुरु स्वयं भगवान का ही स्वरूप है।

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु जी ने समस्त शास्त्र-वेदों के वास्तविक रहस्यों को हम अबोध जनों के समक्ष सरलतम रूप में रखा और भगवत्तत्व से लेकर गुरुतत्त्व का भी विशद वर्णन किया, स्वयं भक्ति का आचरण करके आदर्श रखा, अनंत उपायों द्वारा जीवों से भक्ति कराई!! आओ श्रद्धापूर्ण हृदय से उनके महान व्यक्तित्व का दर्शन करें और अपने श्रद्धासुमन मानसिक रूप से उनके श्रीचरणों में अर्पित करें...

हे भगवती-नंदन जगदगुरुत्तम, हे कृपालु महाप्रभु !! आपका किन-किन वाणियों में हम वंदन करें, हमारे भावहीन वंदनाओं को भी अपनी कृपालुता से अपनाकर हम पर अनुग्रह कीजिये..

★ >> ब्रजभक्ति के मुक्तहस्त दाता !!

कलिमल ग्रसित जीवों को अपनी करुणा से श्री राधाकृष्ण की सर्वोच्च माधुर्यमयी ब्रजभक्ति का सिद्धांत प्रदान करने वाले, और उन्हीं रास-रासेश्वर श्रीकृष्ण एवं रास-रासेश्वरी श्रीराधारानी के ही मिलित मूर्तिमान प्रेमस्वरुप हे रसिकशिरोमणि श्री कृपालु महाप्रभु !! आपको कोटि-कोटि प्रणाम...

★ >> धाम एवं परिजनों की धन्यता

भारतवर्ष के उत्तर-प्रदेश प्रान्त के इलाहाबाद (प्रयागराज) निकट 'मनगढ़' ग्राम में शरद-पूर्णिमा (1922) की मध्यरात्रि में जिनका प्राकट्य हुआ, माँ भगवती की गोद में प्रकटे उन श्री कृपालु महाप्रभु को, जिन्होंने अपनी जन्म एवं लीलास्थली को विश्व भर में 'भक्तिधाम' के नाम से विख्यात किया, जिनकी तीनों सुपुत्रियाँ आज विश्वभर में 'गुरुभक्ति' एवं 'गुरुसेवा' की अद्वितीय आदर्श हैं, उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम...

★ >> ऐतिहासिक उपाधियों से विभूषित

समस्त विश्व जिनकी दिव्यता के समक्ष नतमस्तक है, और इसी अनुपमेयता के फलस्वरुप जिन्हें भारतवर्ष की सर्वोच्च 500 विद्वानों की सभा 'काशी विद्वत परिषत' द्वारा 'पंचम मौलिक जगदगुरुत्तम' की उपाधि के साथ ही,
- श्रीमत्पदवाक्यप्रमाणपारावारीण
- वेदमार्गप्रतिष्ठापनाचार्य
- निखिलदर्शनसमन्वयाचार्य
- सनातनवैदिकधर्मप्रतिष्ठापनसत्सम्प्रदायपरमाचार्य
- भक्तियोगरसावतार
आदि ऐतिहासिक उपाधियाँ प्राप्त हुई, ऐसे अद्वितीय अलौकिक विभूति श्री कृपालु महाप्रभु !! कोटि कोटि वन्दन...

★ >> भक्ति-स्मारकों के प्राकट्य-कर्ता

भारतवर्ष में जिन्होंने 'प्रेम मंदिर' (वृन्दावन) एवं 'भक्ति मंदिर' (भक्तिधाम मनगढ़) जैसे 2 विलक्षण, अद्भुत और सुंदरतम मंदिरों को प्रकट किया, जिनकी दिव्य मार्गदर्शिता से ही विश्व का सर्वप्रथम 'कीर्ति मैया मंदिर' (श्री राधारानी की माता कीर्ति का मंदिर, बरसाना) बरसाना धाम में प्रगट हुआ, साथ ही 'प्रेम भवन' (वृन्दावन) एवं 'भक्ति भवन' (मनगढ़) जैसे विशालतम साधना भवनों को प्रकट करने वाले भक्ति के मूर्तिमान स्वरुप, श्री कृपालु महाप्रभु !! आपको कोटि कोटि प्रणाम..

★ >> ब्रजभक्ति सिद्धांत एवं साहित्यों के प्रकटकर्ता

भक्ति के गूढ़तम रहस्यों को जिन्होंने वेद, शास्त्र, पुराण एवं नाना धर्मग्रंथों के प्रमाणों से कलिमल ग्रसित अबोध जीवों के समक्ष सरस एवं सरल रुप में प्रकट करने वाले, ब्रजभक्ति की उपासना एवं साधना के लिए जिन्होंने 'प्रेम रस मदिरा', 'राधा गोविन्द गीत', 'श्यामा श्याम गीत', 'भक्ति शतक', 'ब्रज रस माधुरी', 'युगल शतक', 'युगल रस', 'श्री कृष्ण द्वादशी' एवं 'श्री राधा त्रयोदशी' आदि संकीर्तन ग्रंथों में मधुर्यभावयुक्त अनंत कीर्तनों, दोहों एवं पदों की सुरचना की, ऐसे रसिकवर श्री कृपालु महाप्रभु !! आपकी कोटि कोटि समर्चना..

★ >> शरणागत की संभाल करने वाले

अपने शरणागत जीव के कल्याण के प्रति जो सदैव चिंतनशील रहा करते हैं, जिन्होंने अपना रोम रोम जीव के उद्धार के प्रति ही समर्पित किया और जिन्होंने स्वयं साधना एवं भक्ति करके जीवों को सोदाहरण साधना की दिशा एवं शिक्षा दी, शरणागत की रक्षा, उनकी नित्य सहायता एवं नित्य संग रहने वाले हे करुणाकर श्री कृपालु महाप्रभु !! आपकी धन्यता को कोटि कोटि प्रणाम..

★ >> सदैव ही जीव-कल्याण हेतु समर्पित

समाज के व्याप्त अनंत अंधविश्वासों, कुरीतियों एवं आध्यात्म के अनेक विकृत स्वरुप को सुधारकर वास्तविक कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करने वाले, जिन्होंने ना केवल आध्यात्म ही, बल्कि लोगों की शारीरिक सेवार्थ अनेक उपक्रम प्रारम्भ किये, ब्रजसाधुओं की सेवार्थ निःशुल्क चिकित्सालयों, बालिकाओं के लिए निःशुल्क विद्यालयों एवं कॉलेज की स्थापना तथा विधवाओं एवं अन्य जरूरतमंदों की सेवार्थ निरंतर प्रत्यनशील रहने वाले हे दीनवत्सल श्री कृपालु महाप्रभु !! आपको कोटि कोटि प्रणाम..

★ >> जो सदैव विद्यमान हैं, रहेंगे..

जो सदैव विद्यमान हैं, भले ही प्राकृत चक्षुओं से अलक्षित हों, जिनकी उपस्थिति का उनके शरणागतों को सदैव ही भान रहा करता है, जिनके विलक्षण सिद्धांत युगों-युगों तक अकाट्य रहेंगे और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगे, ऐसी विलक्षण विभूति श्री कृपालु महाप्रभु !! आपको कोटि कोटि प्रणाम..

★ >> जिनके लिए समस्त विश्व अपना है..

जो 'जगदगुरुत्तम' होकर भी समस्त विश्व के लिए इतने सरल हैं कि विश्व सहज ही उन पर मुग्ध हो जाया करता है और यह अनुभव करता है कि 'ये तो अपने ही हैं', जिन्होंने बगैर जात-पात, ऊँच-नीच, देश-सम्प्रदाय आदि भेदभाव किये बिना समस्त विश्व को एक मानकर सबको अपनापन दिया, ऐसे दिव्य विभूति श्री कृपालु महाप्रभु !! आपके श्रीचरणों में कोटि कोटि प्रणाम..

★ >> जिनके उपकार अनंत ही अनंत हैं..

'गुरु महिमा अपरंपार' है, अतः किन-किन शब्दों और भावों से कौन उनकी महिमा को पूरा बखान सकता है, अनंत भी अनंत की बूंद की भाँति रहेगा. उनके उपकार अनंत, लीला अनंत, कृपालुता अनंत, सब कुछ अनंत !!!! अनंत हृदयों से आपके इन्हीं अनंत कृपालुताओं के प्रति अनंत श्रद्धा एवं कृतज्ञता !!

हमारे अपराध क्षमा करना.. कलिकाल मायाग्रस्त इस हृदय की मलिनता को दूर करना, सांसारिक पदार्थों की चाह नहीं है, हृदयों में राधाकृष्ण के प्रेम की प्यास और उनकी सेवा की अभिलाषा लेकर आपके सन्मुख, आपके चरणों में आये हैं, यही 'ब्रज-प्रेम', यही 'गोपी-प्रेम' दान के लिए ही आपका अवतरण हुआ, अतः हे परम 'कृपालु' महाप्रभु !!! कृपा की एक दृष्टि हमारी ओर भी कीजिये, 'प्रेम एवं सेवा की व्याकुलता' दान कीजिये..

+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia (Youtube)
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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