श्रीराधारानी किस प्रकार अत्यंत कृपालु और प्रेममयी हैं? उनकी कृपा पाने के लिये हमको क्या करना होगा?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 377
'काशी विद्वत परिषत' ने श्री कृपालु जी महाराज को 'पंचम मूल जगदगुरु' की उपाधि से विभूषित करते हुये उन्हें सम्मान स्वरूप 'पद्यप्रसूनोपहार' अर्पित किया था, जिसके तीसरे श्लोक में उन्होंने यह भाव व्यक्त किये थे (केवल भावार्थ लिखा जा रहा है) -
'...श्री कृपालु जी का प्रवचन नूतन जलधार की गर्जना के समान है। यह नास्तिकता से पीड़ित मन की व्यथा को हरने वाला है। प्रवचन को सुनकर चित्तरूपी वनस्थली दिव्य भगवदीय ज्ञान के अंकुर को जन्म देती है। कुतर्क युक्त विचारों से विक्षिप्त तथा दुर्भावना के भूत से पीड़ित मनुष्यों की रक्षा करने में श्री कृपालु जी महाराज अमृत औषधि के समान हैं। इनकी सदा ही जय हो...' (मकर संक्रान्ति, वि. 2023)
उपरोक्त उक्ति सहज ही अनुभवगम्य है, आचार्यवर जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज का प्रवचन भवबंधन का नाश कर प्रेमामृत का दान कर देने वाला है। आइये आज के अंक में उनके श्रीमुख से निःसृत अमृत कणों का रसपान करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
श्याम मारि असुरन देवें निज धामा।
श्यामा बिनु हेतु बाँटें प्रेम निष्कामा।।
भावार्थ ::: नंदनंदन असुरों का वध कर तब उन्हें अपना धाम प्रदान कर पाते हैं। पूतना, शकटासुर, तृणावर्त, बकासुर, अघासुर आदि को मारकर ही श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना धाम प्रदान किया। प्रेममयी राधा तो बिना किसी कारण के ही निष्काम प्रेम बाँटती रहती हैं।
• सन्दर्भ ग्रन्थ ::: श्यामा श्याम गीत, दोहा संख्या 488
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★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
श्री राधारानी की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या साधना करनी होगी?
– अरे ! ये ही तो साधना है कि वो बिना कारण के कृपा करती हैं ये फेथ करो। यही साधना है। जो कीर्तन करते हो तुम यही तो साधना करते हो न। उस कीर्तन का मतलब क्या? रोकर उनको पुकारो कि तुम कृपा करो। यही साधना है। इसी से अंतःकरण शुद्ध होता है। मन को शुद्ध करने के लिए साधना होती है। फिर उसके बाद वो कृपा से प्रेम देती हैं। उनका लाभ तो कृपा से मिलता है। तुम्हारा काम तो मन को शुद्ध करना है। और मन शुद्ध करने के लिए उनको पुकारना है। बस यही साधना है।
• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी भाग – 3, पृष्ठ संख्या 9
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(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
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