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‘सलाद': कैसे 16वीं सदी के स्वस्थ तरीके से खाया जाए
लोबॉरो (ब्रिटेन) ।जब हम पुराने जमाने के खाने के बारे में सोचते हैं तो अक्सर दिमाग में इंग्लैंड के राजा हेनरी अष्टम की तस्वीर सामने आती है जिनके सामने टेबल पर मांस से बने विभिन्न प्रकार के व्यंजन दिखते हैं। लेकिन तथ्य यह है कि हमारे पूर्वज सलाद खाने के अधिक स्वास्थ्य फायदों को जानते थे और संभवत: हमारी सोच से कहीं ज्यादा जड़ी-बूटियों यां सब्जियों के बारे में सोचते थे। अतीत की सतत आत्मनिर्भरता को देखते हुए हम पाते हैं कि हम कई प्रकार के ऐतिहासिक सलाद व्यंजनों के बारे में जान सकते हैं जिन पर लगभग कोई खर्च नहीं आता है और कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है और संभवत: हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। डायरी लेखक और उद्यान में रुचि रखने वाले जॉन इवेलिन (1620-1706) ने 17वीं सदी के मध्य में सलाद को लेकर अपनी रुचि दिखाई थी। इसमें उन्होंने प्रत्येक व्यंजन की विस्तार से जानकारी देने के साथ यह भी बताया है कि कैसे घर में ही सालभर सलाद के लिए सामग्री पैदा कर सकते हैं। इवेलिन के लिए आदर्श किचन गार्डन का अभिप्राय था कि वह ऐसी सब्जियों और फलों से भरा हो जिन्हें आसानी से उगाया जा सके, साथ ही उनमें विविधता भी हो। इवेलिन ने यहां तक सलाद बनाने की और उसके लिए सामग्री उगाने की पूरी निर्देशिका ‘एसिटेरिया- ए डिस्कोर्स ऑन सैलेट्स' के नाम से सन 1699 में प्रकाशित की थी। ‘‘सैलेट'' शब्द अंग्रेजी भाषा में फ्रांसीसी शब्द ‘सलाद' से 13वीं सदी में आया और 16वीं सदी में इस शब्द का आम बोलचाल में इस्तेमाल किया जाता था। ‘एसिटेरिया' में इवेलिन ने कम मांस वाले भोजन को प्रोत्साहित किया और जोर दिया कि जो लोग जड़ी-बूटी और जड़ों पर जिंदा रहते हैं, वे लंबे समय तक जीते हैं। अपनी बात को पुख्ता रूप से रखने के लिए वह पंरपरागत दर्शन का हवाला देते थे और महान विचारक प्लेटो एवं पाइथागोरस का उदाहरण देते थे जिन्होंने अपनी खाने की मेज पर से ‘मांस' को बिल्कुल हटा दिया था। पिछले साल बागवानी और सब्जियों को उगाने का चलन बढ़ा है। पूरी तरह से आत्मनिर्भर होना शायद संभव नहीं हो लेकिन इवेलिन की ‘एसिटेरिया' कुछ नुस्खे देती है जिससे घर में उगाए खाद्य सामग्री का इस्तेमाल परिवार को खिलाने में किया जा सकता है और कुछ सुझाव भी देती है जिससे असामान्य तरीके से उत्पादन का विस्तार किया जा सकता है। माली का वर्ष इवेलिन के घोषणापत्र के केंद्र में सलाद है जो उन्होंने ‘एसिटेरिया' में लिखी कविता में रेखांकित किया, ‘‘ रोटी, शराब और कुछ सलाद जो आप खरीद सकते हो लेकिन प्रकृति से क्या जोड़ता है? वह है विलासिता।'' इस कविता में सलाद खरीदने का संदर्भ दिया गया है। इवेलिन रेखांकित करते हैं कि ऐसे पौधे आसानी से उगाए जा सकते हैं और इनके व्यंजन बनाने के लिए ईंधन की जरूरत नहीं है, आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और पचाने में भी आसान हैं। यह किताब खाना बनाने के लिए सामग्री का उत्पादन करने के संकेत और नुस्खा बताती है।
वह गुलबहार, दलदली गेंदा आदि के सलाद की भी बात करते हैं। ये और कई तरह के पौधे बेकार जमीन पर भी उगाए जा सकते हैं और माली को बिना कीमत आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकते हैं। कई तरह के ‘‘खरपतवारों' को सही समय पर लिया जा सकता है और कई बार कड़वापन खत्म करने के लिए उनकी जड़ों को उबालकर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, आधुनिक काल के शुरुआती दिनों में कच्ची सब्जियों को खाने को लेकर चिंता जताई जाती थी कि अगर अधिक खाया जाए तो पाचन तंत्र खराब हो सकता है। हालांकि, मुख्य बिंदु यह है कि उन्होंने विस्तृत परिभाषा दी है कि सलाद में किन-किन चीजों को शामिल किया जा सकता है जैसे उच्च श्रेणी के रेस्तरां में जगली पौधों की वापसी। सलाद, ‘‘शहर के दावत के लिए उपयुक्त''
एक व्यंजन बनाने की विधि जो इवेलिन ने दी है और उसकी समीक्षा करने के बाद सलाद ऐसी हो सकती है-
सलाद में पड़ने वाली सामग्री : छिलके वाले बादाम कटे हुए, ठंडे पानी में भिगोए हुए मसालेदार खीरे, कॉनिलियन्स (एक प्रकार की चेरी), जामुन, चुकुंदर, जलकुंभी के डंठल, अखरोट, मसालेदार मशरुम, संतरे के छिलके आदि। बनाने की विधि : उपरोक्त सामग्री को काट लें और उनमें भुना हुआ अखरोट, पिस्ता, बादाम आदि डाले और फूलों से सजाएं और उस पर गुलाबजल का छिड़काव करें। साथ में सिरका में भिगोए फूल भी रख सकते हैं। इवेलिन की किताब का संदेश है कि प्रकृति ने जो दिया है, उसका इस्तेमाल करें। 

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