मधुमेह, वजन घटाने वाली दवाओं से पेट के पक्षाघात का खतरा: अध्ययन
नयी दिल्ली. व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली ‘ओजेम्पिक' और ‘वेगोवी' जैसी मधुमेह और वजन घटाने की दवाओं से पेट के पक्षाघात का खतरा बढ़ सकता है। नए अध्ययनों के निष्कर्ष से यह जानकारी मिली है। पेट का पक्षाघात यानी ‘गैस्ट्रोपैरेसिस' पेट की मांसपेशियों को कमजोर कर देता है, जिससे भोजन मुख्य पाचन अंग में लंबे समय तक पड़ा रहता है। ‘वेगोवी' वजन प्रबंधन के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा अनुमोदित दवा है और ‘ओजेम्पिक' ‘टाइप 2' मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। मधुमेह के मरीजों को दी जाने वाली दवाओं और वजन घटाने के लिए दी जाने वाली दवाओं से मतली, उल्टी और दस्त जैसे ‘गैस्ट्रोइन्टेस्टनल' (जठरांत्र) से जुड़े दुष्प्रभाव के खतरे के बारे में सभी को जानकारी है लेकिन नए अध्ययन में पता चला है कि इनसे पेट के पक्षाघात, ‘इलियस' (आंत का सिकुड़कर अपशिष्ट को शरीर के बाहर ना निकाल पाना) और ‘पैन्क्रियाटाइटिस' (अग्नाशय में सूजन) का खतरे बढ़ने का भी पता चला है। ये अध्ययन 18 से 21 मई तक अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में आयोजित सम्मेलन ‘पाचन रोग सप्ताह 2024' में पेश किए गए। ‘कन्सास' यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं सहित कई शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इन अध्ययनों में से एक अध्ययन ने मधुमेह या मोटापे से पीड़ित ऐसे 1.85 लाख रोगियों की पहचान की, जिन्हें एक दिसंबर 2021 से 30 नवंबर 2022 के बीच ये दवाएं दी गई थीं। शोधकर्ताओं ने पाया कि लगभग 0.53 प्रतिशत रोगियों में ‘गैस्ट्रोपैरेसिस' की समस्या पाई गई और उन्होंने अनुमान जताया है कि इस स्थिति का खतरा 66 प्रतिशत बढ़ गया है। एक अन्य अध्ययन में टाइप 2 मधुमेह की दवाएं लेने वाले रोगियों में ‘गैस्ट्रोपैरेसिस' के जोखिम का आकलन किया गया और उनमें इसका खतरा बढ़ने की पुष्टि हुई। ‘मायो क्लिनिक मिनेसोटा' के शोधकर्ताओं के एक अन्य अध्ययन में भी यही बात साबित हुई।
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