सरकार का फोकस 6G पर, दूरसंचार में आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि भारत को अगली पीढ़ी की संचार तकनीकों में वैश्विक अग्रणी बनाने के लिए तेज़ी से कदम उठाए जा रहे हैं।तेजी से हो रहे 5G नेटवर्क के विस्तार और अपनाने के बाद अब सरकार का ध्यान “भारत 6G विज़न” के तहत 6G तकनीक विकसित करने पर है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत को उन्नत दूरसंचार नवाचार का केंद्र बनाना है।
सरकार के अनुसार, भारत का 6G विज़न सस्ती, टिकाऊ और सर्व-सुलभ कनेक्टिविटी के सिद्धांतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य है कि हर नागरिक उच्च गति की इंटरनेट सेवा का लाभ उठा सके, साथ ही देश में स्थानीय अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
यह पहल विकसित भारत 2047 के लक्ष्य से भी जुड़ी हुई है।
6G तकनीक वायरलेस संचार का अगला बड़ा कदम है, जो 5G से लगभग 1000 गुना तेज़ और लगभग शून्य विलंब (zero latency) वाली डेटा ट्रांसफर सुविधा प्रदान करेगी। इससे रिमोट सर्जरी, एडवांस रोबोटिक्स, स्मार्ट सिटीज़ और वर्चुअल रियलिटी जैसे रियल-टाइम अनुप्रयोगों को बढ़ावा मिलेगा।सरकार ने 6G विकास को समर्थन देने के लिए कई पहलें शुरू की हैं। इसमें दो उन्नत टेस्टबेड — 6G टेराहर्ट्ज़ (THz) टेस्टबेड और एडवांस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन टेस्टबेड — शामिल हैं, जिनका उद्देश्य शोध और नवाचार को बढ़ावा देना है।इसके अलावा, देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में 100 से अधिक 5G लैब्स स्थापित की गई हैं ताकि 6G के लिए पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सके और उद्योग तथा अकादमिक जगत के बीच सहयोग को मजबूत किया जा सके।अब तक 6G नेटवर्क से जुड़े 104 अनुसंधान प्रस्तावों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिससे भारत की अनुसंधान दिशा वैश्विक 6G रोडमैप के अनुरूप हो सके।स्वदेशी अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने “टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TTDF)” भी शुरू किया है। इसके तहत अब तक 115 प्रोजेक्ट्स, जिनकी कुल कीमत ₹310 करोड़ से अधिक है, को मंजूरी मिल चुकी है।
इस विज़न की दिशा में एक बड़ा कदम है “भारत 6G एलायंस (B6GA)” का गठन — जो सरकार, उद्योग, शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान संगठनों के संयुक्त प्रयास से बना है। इसका उद्देश्य एक आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।

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