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 एसईसीएल विशेष अभियान 5.0 में सर्वोत्तम प्रथाओं में अव्वल

 नई दिल्ली।   विशेष अभियान 5.0 के अंतर्गत, कोल इंडिया लिमिटेड की एक अग्रणी सहायक कंपनी, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने स्वच्छता, स्थिरता और समावेशिता के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं। नवीन अपशिष्ट प्रबंधन, रिसाइकलिंग, महिला सशक्तिकरण और यंत्रीकृत सफाई पहलों के जरिए, एसईसीएल ने यह दिखाया है, कि कैसे एक प्रमुख कोयला उत्पादक पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्व में उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है। एसईसीएल के प्रयासों में सबसे आगे एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा में "अपशिष्ट से धन" पहल है। यह परियोजना स्रोत पर ही अपशिष्ट के वैज्ञानिक पृथक्करण और उसके बाद एक ठोस एवं द्रव संसाधन प्रबंधन (एसएलआरएम) केंद्र में प्रसंस्करण पर केंद्रित है।जैव-निम्नीकरणीय अंश को पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद में बदला जाता है, जिससे मिट्टी की क्वालिटी बेहतर होती है और एसईसीएल के व्यापक वृक्षारोपण अभियानों को प्रोत्साहन मिलता है। यह पहल "कचरे को खजाने में बदलने" के विचार को वास्तविक रूप देती है, और खनन कार्यों में चक्रीय अर्थव्यवस्था का एक आदर्श प्रस्तुत करती है।
 
एसईसीएल की गेवरा स्थित केंद्रीय उत्खनन कार्यशाला (सीईडब्ल्यूएस) ने स्थायित्व को एक कलात्मक आयाम देते हुए, औद्योगिक कचरे को प्रभावशाली विशाल कलाकृतियों में बदल दिया है। इनमें एक रोबोट सैनिक के साथ एस-400 मिसाइल प्रणाली का एक आकर्षक मॉडल, कोरबा क्षेत्र में "ब्रह्मोस" मिसाइल की एक प्रतिकृति और हसदेव क्षेत्र में पूरी तरह से बेकार पड़े मशीन के पुर्जों और बेयरिंग से निर्मित एक कोयला खनिक की भव्य प्रतिमा शामिल है।समावेशिता और महिला सशक्तिकरण के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दिखाते हुए, एसईसीएल ने हाल ही में कोरबा में स्पेयर पार्ट्स आपूर्ति और प्रबंधन के लिए पहली बार महिलाओं द्वारा चलाई जा रही स्टोर इकाई का उद्घाटन किया।अपने स्वच्छता ढांचे को और मजबूत करते हुए, एसईसीएल ने कोयला परिवहन और कॉलोनी की सड़कों की आधुनिक, धूल-मुक्त सफाई के लिए नौ परिचालन क्षेत्रों में सड़क साफ करने वाली 20 मैकेनिकल मशीनें लगाई हैं। इन प्रमुख पहलों के साथ-साथ, एसईसीएल के अभियान में कर्मचारियों और निवासियों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण शिविर, स्वच्छता में उनके योगदान के लिए सफाई मित्रों का सम्मान, खनन क्षेत्रों में बायो-शौचालय की स्थापना और अरपा नदी के तट जैसे प्रमुख सामुदायिक स्थलों पर स्वच्छता ही सेवा - स्वच्छता उत्सव 2025 के अंतर्गत सफाई अभियान भी शामिल हैं।

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