भारतीय व तुर्की के शोधकर्ता डिजिटल उपकरणों से कृषि उत्पादकता में बदलाव पर कर रहे हैं अध्ययन
नयी दिल्ली. राउरकेला स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और तुर्की स्थित अजरबैजान स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स के शोधकर्ताओं ने इस बात का अध्ययन किया है कि किस प्रकार डिजिटल उपकरण और नवीकरणीय ऊर्जा 27 विकासशील देशों में कृषि उत्पादकता और स्थिरता में बदलाव ला सकते हैं। अनुसंधान दल ने भारत सहित 27 विकासशील देशों को शामिल करते हुए अध्ययन किया है, जिसमें यह बताया गया है कि किस प्रकार इंटरनेट का उपयोग, मोबाइल कनेक्टिविटी, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि भूमि और उर्वरक की खपत सामूहिक रूप से तेजी से बदलती दुनिया में खाद्य उत्पादन की प्रकृति को आकार देते हैं। शोध के निष्कर्ष प्रतिष्ठित “टेक्नोलॉजी एनालिसिस एंड स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट” जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। एनआईटी-राउरकेला के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर नारायण सेठी के अनुसार, वर्तमान प्रौद्योगिकी-संचालित परिवेश में प्रगति का कोई भी पहलू डिजिटल प्रौद्योगिकियों से अछूता नहीं है। सेठी ने कहा, “हम किस प्रकार संवाद करते हैं और काम करते हैं, से लेकर हम किस प्रकार भोजन का उत्पादन करते हैं और अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, सब कुछ इंटरनेट और नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित क्रांति का अनुभव कर रहा है। कृषि में इंटरनेट ने खाद्यान्न उत्पादन, विपणन और उपभोग के तरीके को बदल दिया है। किसान अब अपनी उपज बेचने से पहले बाजार भाव देख सकते हैं, ऑनलाइन उर्वरकों की कीमतों की तुलना कर सकते हैं और टिकाऊ खेती की तकनीकें सीख सकते हैं।” शोध दल ने वर्ष 2000 से 2021 तक 27 विकासशील देशों के कृषि-संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए उन्नत अर्थमितीय विधियों का उपयोग किया। ये देश हैं: भारत, अर्जेंटीना, चीन, पाकिस्तान, घाना, मलेशिया, टोगो, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, बोलीविया, निकारागुआ, ट्यूनीशिया, बोत्सवाना, जॉर्डन, तुर्की, श्रीलंका, पनामा, तंजानिया, कोस्टा रिका, मैक्सिको, फिलिपीन, केन्या, डोमिनिकन गणराज्य, मोजाम्बिक और अल साल्वाडोर। शोधकर्ताओं ने पाया कि इंटरनेट का उपयोग, मोबाइल फोन और नवीकरणीय ऊर्जा, प्रत्येक व्यक्तिगत रूप से कृषि उत्पादकता को बढ़ाते हैं।



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