आनंदप्राप्ति है जीव का परम चरम लक्ष्य : सुश्री श्रीश्वरी देवी जी
भिलाई। जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रमुख प्रचारिका सुश्री श्रीश्वरी देवीजी द्वारा 13 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का आयोजन दिनांक 22 से 5 मई 2025 तक शाम 6 से रात 8 बजे तक उमरपोटी श्रीजी पैलेस के सामने , में किया जा रहा है। आज। प्रवचन के पहले दिन देवीजी ने वेद और शास्त्रों के प्रमाण सहित बताया कि 84 लाख प्रकार की योनियो में मनुष्य शरीर सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि भगवान ने मनुष्यो को ज्ञान शक्ति दी, कर्म करने की शक्ति प्रदान की, जिससे ईश्वर रूपी अंश को जाना जा सकता है। अगर मनुष्य देह पाकर ईश्वर रूपी आनंद को प्राप्त नही किया तो मनुष्य शरीर छूटने पर 84 लाख प्रकार की हीन योनियों में भटकना पड़ेगा। विश्व का प्रत्येक जीव एकमात्र आनंद ही चाहता है। वह आनंद कहाँ है? कैसे मिलेगा? इसी के लिए अनवरत् प्रयासरत् है। क्योंकि जीव ईश्वर का अंश है। रामायण में भी कहा गया है-
‘ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख राशि।।‘
और वेदों के अनुसार ‘रसो वै सः“ अर्थात ईश्वर ही आनंद है वही रस है। इसीलिए प्रत्येक जीव ईश्वर का सनातन अंश होने के कारण अनादिकाल से आनंद की खोज में लगा हुआ है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वेद कहते हैं कि विश्व का प्रत्येक जीव आस्तिक है। इस उक्ति को एक उदाहरण के माध्यम से समझाया गया जैसे कोई नवजात शिशु है, वह जन्म लेते ही पहले रोता है क्योंकि जन्म के समय जो कष्ट होता है उसे वह नहीं चाहता इसलिए रोकर उस दुःख को दूर करने का प्रयास करता है। ऐसे ही किसी विद्यार्थी से पूछा जाए कि तुम पढ़ाई क्यों कर रहे हो वह कहेगा कि परीक्षा में पास हो जाए हमारी अच्छी जॉब लग जाए। फिर पूछा जाए इससे तुम्हें क्या मिलेगा? वह कहेगा सुख मिलेगा खुशी मिलेगी तो यह सब सुख, खुशी, हैप्पीनेस, शांति आदि ईश्वर के ही पर्यायवाची शब्द है। अतः यह निर्विवाद सिद्ध होता है कि हम सभी जीव केवल ईश्वर को ही चाहते हैं क्योंकि हम प्रतिक्षण सुख पाने की होड़ में लगे हुए हैं। परंतु इसके विपरीत हमारे वेद यह भी बताते हैं, कि विश्व का प्रत्येक जीव नास्तिक है यह महान आश्चर्य है और कैसे है? यह आगे प्रवचन में बताया जाएगा। प्रवचन श्रृंखला धारावाहिक होने से प्रतिदिन सुनना अनिवार्य होगा।
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