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 अम्बेडकर अस्पताल में एसीआई में पहली बार दाईं तरफ से डाला गया कंडक्शन पेसिंग सिस्टम

-प्रदेश में दाईं तरफ से कंडक्शन सिस्टम पेसिंग का यह तीसरा केस
-यह सिस्टम मरीज के हृदय की धड़कन को नियमित करेगा और हार्ट फेल होने से बचाएगा
-प्रकृति द्वारा प्रदत्त हृदय के विद्युत सिस्टम में आ गई थी खराबी जिससे मरीज के हृदय की धड़कन अनियमित धड़क रही थी
-हृदय की असमान्य धड़कनों को सामान्य करने के लिए साल भर पहले निजी अस्पताल में मरीज को लगाया गया था पेसमेकर
-तीन महीने बाद पेसमेकर वाले स्थान पर मवाद भरकर इन्फेक्शन हो गया, बार-बार के इन्फेक्शन से परेशान होकर मरीज ने किया एसीआई का रूख
-एसीआई में पहली बार पारंपरिक तरीके से पेसमेकर को लगाने की पद्धति बायें हिस्से की जगह दायें हिस्से से दो तारों वाला कंडक्शन पेसिंग सिस्टम लगाया
-कंडक्शन पेसिंग सिस्टम एक तरह का पेसमेकर ही है लेकिन यह प्रकृति द्वारा प्रदत्त हृदय की आंतरिक तारों से जुड़कर विद्युत तरंगों के प्रवाह को नियमित करता है जिससे हृदय सही लय और ताल में धड़कता है
 रायपुर।  डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉक्टरों ने रायपुर निवासी 75 वर्षीय मरीज के हृदय में दाहिनी ओर से कंडक्शन पेसिंग सिस्टम लगाकर असामान्य हृदय की धड़कन को सामान्य किया। एसीआई में कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुए इस प्रक्रिया में प्रकृति द्वारा प्रदत्त हृदय की आंतरिक तंतु (हिज के बंडल और पुरकिंजे के तंतु) में कंडक्शन पेसिंग सिस्टम का नया तार फिट कर हृदय के ऊपरी चैंबर से निचली चैंबर तक विद्युत तरंगों के प्रवाह को सुगम बनाते हुए हाई रिस्क मरीज के हृदय की धड़कन को सामान्य करने में सफलता प्राप्त की।
  रायपुर निवासी 75 वर्षीय पुरूष मरीज को एक निजी अस्पताल में साल भर पहले पेसमेकर लगाया गया था जो हृदय की धड़कन को नियमित करने के लिए था परंतु तीन महीने बाद ही मरीज के सीने से मवाद निकलने लगा। निजी अस्पताल में पुनः चार बार भर्ती किया गया फिर भी मरीज को बार-बार इन्फेक्शन होता रहा। तत्पश्चात् मरीज एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में डॉ. स्मित श्रीवास्तव के पास पहुंचा जहां डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने मरीज को देखा। उनके पास मरीज के हार्ट की कमजोरी को देखते हुए दो विकल्प थे। पहला तीन तार वाले पेसमेकर का प्रत्यारोपण और दूसरा दो तार वाली उन्नत तकनीक वाले पेसमेकर (कंडक्शन पेसिंग सिस्टम) का प्रत्यारोपण। इस दौरान चुनौतियों को देखते हुए और दोबारा इन्फेक्शन न हो यह ध्यान में रखते हुए डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने मरीज को दो तार वाली पेसमेकर, कंडक्शन सिस्टम पेसिंग तकनीक के साथ,  दाईं तरफ से डालने का निर्णय लिया चूंकि बाईं  तरफ मवाद और पुराना पेसमेकर था। प्रदेश में  दाईं  तरफ से कंडक्शन सिस्टम पेसिंग का यह तीसरा केस है और इन्फेक्शन के साथ कंडक्शन सिस्टम पेसिंग का पहला केस है। पूरे देश में  दाईं तरफ से यह तकनीक बहुत कम चिकित्सकों ने किया है। इसके साथ ही डॉ. स्मित ने मरीज के बेहतरी के लिए एंटी बैक्टीरियल एनवेलप भी पेसमेकर के साथ लगाया। इसके साथ ही साथ  बाईं  तरफ से डाला गया पुराना पेसमेकर और तार भी निकाल दिया गया है।
 ऐसे लगाया कंडक्शन पेसिंग सिस्टम
डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार, सबसे पहले हृदय में जहां पेसमेकर लगाया जाना है वहां तक पहुंचने वाले तारों (कैथेटर) को मेरे द्वारा सुधारा गया। चूंकि जैसा कि पहले बताया गया है  बाईं  (लेफ्ट) ओर से जाकर हृदय में पेसमेकर प्रत्यारोपित करने के लिए अंग्रेजी के सी-शेप में कैथेटर आता है लेकिन यहां पर  दाईं  (राइट) ओर से जाकर हृदय के दाहिने हिस्से में पेसमेकर प्रत्यारोपित करने के लिए कैथेटर को अंग्रेजी के जेड शेप में मोडिफाई किया गया। राइट एट्रियम (दायें आलिंद) में तार डाली गई तत्पश्चात् पेसमेकर को एंटी बैक्टीरियल एनवेलप में डालकर तारों से कनेक्ट किया गया। उसके बाद  बाईं तरफ लगे पेसमेकर और तारों को निकाल लिया गया। अब हृदय पहले की तरह प्राकृतिक रूप से सही तरीके से धड़केगा।
इस प्रक्रिया में डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ मेडिकल टीम में डॉ. प्रतीक गुप्ता, डॉ. अनमोल अग्रवाल, डॉ. बलविंदर सिंह, सीनियर टेक्नीशियन आई. पी. वर्मा, खेम सिंह मांडे, जितेन्द्र चेलकर, नर्सिंग स्टाफ आभा, मुक्ता और जॉन शामिल रहे।

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