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जन्‍माष्‍टमी पर बन रहा है महा पुण्‍यदायी योग, इन मंत्रों का जाप करने से पूरी होगी मनोकामनाएं
भारत में दो ऐसे युग पुरुष हुए हैं जिनके जन्मोत्सव, सदियों से धार्मिक आयोजन के रुप में मनाए जाते हैं. इतिहासकारों के अनुसार भगवान राम  का जन्म लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व हुआ था और भगवान कृष्ण  का करीब 5 हजार साल पहले हुआ था. ज्‍योतिषाचार्य मदन गुप्‍ता सपाटू कहते हैं कि हिंदू धर्म-पंचांग और ज्‍योतिष के मुताबिक भगवान राम का जन्म नवमी के दिन अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurat) में अर्थात दोपहर के दोपहर 12 बजे हुआ था, वहीं भगवान कृष्ण का जन्‍म भी अष्टमी की मध्यरात्रि में अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था. यह एक ऐसा मुहूर्त होता है जो हर कार्य में विजय दिलाता है. इस बार जन्‍माष्‍टमी (Janmashtami 2021) पर कृष्‍ण जन्‍म का दुर्लभ संयोग बन रहा है. 
जन्‍माष्‍टमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग 
श्रीमद्भागवत के मुताबिक श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीन के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा-कालीन समय में मध्‍य रात्रि में हुआ था. अमूमन जन्‍माष्‍टमी के मौके पर वृष राशि का चंद्रमा तो रहता है लेकिन रोहिणी नक्षत्र नहीं होता है. इस बार 30 अगस्‍त को पड़ रही जन्‍माष्‍टमी पर 8 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है, जब न केवल रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि का चंद्र है, बल्कि सोमवार (Monday) भी है. गौतमी तंत्र नाम के ग्रन्थ और पदमपुराण के अनुसार, यदि  कृष्णाष्टमी सोमवार या बुधवार को पड़े तो यह अत्‍यंत शुभ मानी जाती है. 
शुभ मुहूर्त में इन मंत्रों का करें जाप 
30 अगस्‍त को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात के 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक का रहेगा. यानी कि मुहूर्त 45 मिनट का रहेगा. इस समय में कुछ खास मंत्रों का जाप करने से भगवान श्रीकृष्‍ण मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यदि देर रात जाप करना संभव न हो तो 30 अगस्‍त को दिन में ही कम से कम 108 बार इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं. 
भगवान कृष्ण की आराधना के लिए मंत्र: ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिशां पते! 
नमस्ते रोहिणी कान्त अर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्!!
संतान प्राप्ति के लिए मंत्र:  इस मंत्र का जाप पति-पत्‍नी दोनों करें. इसके लिए 2 मंत्र हैं, पहला मंत्र- देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते! देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः!!
दूसरा मंत्र-! क्लीं ग्लौं श्यामल अंगाय नमः !!
विवाह में देरी से निजात पाने के लिए मंत्र: ओम् क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्ल्भाय स्वाहा. 

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