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 अहंकार जिस पर बरसता है उसे तोड़ देता है, प्रेम जिस पर बरसता है उसे जोड़ देता है; पढ़ें अहंकार और प्रेम में 8 अंतर!
 • जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 419

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा वर्णित अहंकार और प्रेम में अंतर के कुछ बिन्दु ::::::

(1) जगत की ओर देखने वाला अहंकार से भरता है, प्रभु की ओर देखने वाला प्रेम से पूर्ण होता है।

(2) अहंकार सदा लेकर प्रसन्न होता है, प्रेम सदा देकर संतुष्ट होता है।

(3) अहंकार को अकड़ने का अभ्यास है, प्रेम सदा झुक कर रहता है।

(4) अहंकार जिस पर बरसता है उसे तोड़ देता है, प्रेम जिस पर बरसता है उसे जोड़ देता है।

(5) अहंकार दूसरों को ताप (दुःख) देता है, प्रेम मीठे जल सा तृप्ति देता है।

(6) अहंकार संग्रह में लगा रहता है, प्रेम बाँट बाँटकर बढ़ता है।

(7) अहंकार सबसे आगे रहना चाहता है, प्रेम सबके पीछे रहने में प्रसन्न है।

(8) अहंकार बहुत कुछ पाकर भी भिखारी है, प्रेम अकिंचन रहकर भी पूर्ण धनी है।

• सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश, जुलाई 1997 अंक

★★★
ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
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