पांच प्रमुख योगों के मध्य मनाया जाएगा देवउठनी एकादशी
ज्योतिषी/वास्तु शास्त्री विनीत शर्मा ने बताया कि सर्व प्राचीन वेदों में वर्तमान मास् को सहस मास बताया गया है।राक्षस संवत्सर के कार्तिक शुक्ल पक्ष को एकादशी पर्व को lतुलसी विवाह भी कहा जाता है इस पर्व के दिन माता तुलसी का शालिग्राम भगवान से विवाह किया जाता है गन्ने के शुभ मंडप के माध्यम से पूजा की जाती है गन्ना सबसे विशुद्ध फल माना गया है गन्ने से प्राप्त होने वाली मिश्री और गुड़ शरीर के लिए आयुष्य वर्धक होते है ।इसलिए इस पवित्र त्यौहार में गन्ने का उपयोग किया जाता है आज के दिन पांच-पांच सुंदर योग बन रहे हैं सर्वार्थ सिद्धि योग नीच भंग राजयोग शश योग वज्र योग रवि योग गद योग आदि योगों की बेला में इस पर्व को मनाया जाएगा ।आज से ही मांगलिक वैवाहिक गृह प्रवेश अन्नप्राशन जाति कर्म संस्कार अन्नप्राशन संस्कार चूड़ाकर्म नामकरण संस्कार विद्यारंभ संस्कार और समस्त संस्कार प्रारंभ हो जाएंगे।आज के शुभ दिन से ही चातुर्मास समाप्त हो जाएंगे और श्री हरि विष्णु का आज से जागरण हो जाएगा।फलस्वरूप मांगलिक व शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर है यह भर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता है इससे प्रदूषण कम होता हैब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार आज के दिन सुबह तुलसी का दर्शन करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
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