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  क्या निराकार ब्रह्म कृपा नहीं कर सकता? निर्गुण निराकार ब्रह्म के विषय में प्रचलित मान्यताओं की वास्तविकता क्या है?
 जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 443

जिज्ञासा ::: ब्रह्म को निःशक्तिक् ब्रह्म या अल्पशक्तिक् ब्रह्म कहा गया है। उसके पास 'कर्तुम् अकर्तुम् अन्यथाकर्तुंसमर्थः' योगमाया की शक्ति होते हुए भी, क्या वह कृपा नहीं कर सकता? क्या निराकार ब्रह्म कृपा नहीं कर सकता?

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: नि:शक्तिक् नहीं होता कोई ब्रह्म वेद में। ये तो शंकराचार्य के सिद्धान्त में निःशक्तिक् ब्रह्म है, जिसकी हम लोग बुराई करते हैं। ब्रह्म में सब शक्तियाँ हैं, उसी शक्ति के बल पर वो निराकार भी रहता है, साकार भी हो जाता है और 'कर्तुमकर्तुमन्यथाकर्तुं समर्थ' भी रहता है। लेकिन जब वह निराकार रूप में रहता है, तब शक्तियाँ प्रकट नहीं करता है। इसलिए कृपा भी नहीं करता है, उस रूप में। जैसे जज है, वह कोर्ट में जब बैठता है, तभी जजमेन्ट दे सकता है, फैसला कर सकता है। घर पर कोई उसका बयान लेने आवे या कोई कुछ कहे, तो उस पर एक्शन नहीं ले सकता है, वो लीगल नहीं है।

तो भगवान् की सब शक्तियाँ हैं। लेकिन जैसे गेहूँ का बीज है, वो बोरे में बन्द है, उसमें सब शक्तियाँ हैं, लेकिन प्रकट तब होंगी जब वो खेत में डाला जायेगा। तब उससे पेड़ पैदा होगा और फल लगेंगे। तो भगवान् का जो स्वरूप, शक्ति नहीं प्रकट करने का है, वो कृपा भी नहीं करता, वो कोई कार्य नहीं करता। दो तीन कार्य करता है, बस। एक तो अपनी सत्ता की रक्षा, एक आनन्द स्वरूप का रखना (सच्चिदानंद का) और कुछ काम नहीं करता। तो शक्तियाँ सब हैं, एक भी शक्ति कम नहीं है। श्रीकृष्ण और ब्रह्म एक हैं। वही तो ब्रह्म है, शक्तियाँ कहाँ जायेंगी। शक्तियाँ सब हैं, लेकिन प्रकट नहीं होती, इसलिए कृपा नहीं करता। वो कृपा करने के लिए उन्होंने अपना भगवान् का स्वरूप बना रखा है। जो अल्पज्ञ हैं, वो समझते हैं, ब्रह्म अलग है, श्रीकृष्ण अलग हैं। वो श्रीकृष्ण की शरणागति में फेथ करते हैं या नहीं करते, लेकिन जो तत्वज्ञ हैं वो जानते हैं श्रीकृष्ण ही ब्रह्म हैं, उन्हीं का वो रूप है। तो हम जब ब्रह्म के उपासक हैं, तो श्रीकृष्ण के भी उपासक हैं तो हम कृपा के लिए श्रीकृष्ण की शरणागति क्यों न करें? सब करते हैं, शंकराचार्य ने भी आखिर में किया ही। किताब में कुछ भी लिखा, लेकिन प्रैक्टिकल लाइफ में तो श्रीकृष्ण भक्ति किया ही। रोये श्रीकृष्ण के आगे, हमारे ऊपर कृपा करो, हमारा उद्धार करो। निःशक्तिक् कोई नहीं होता। ये जीव नहीं होता तो ब्रह्म क्या होगा। अरे! हम लोगों के पास भी शक्तियाँ हैं, छोटी छोटी हैं। ज्ञान शक्ति भी है, क्रिया शक्ति भी है, सब कुछ है, अणुचित् और वो विभुचित् है। 

जैसे प्रत्येक देहधारी में काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य, सब दोष हैं। लेकिन जैसे काम है, तो एक उमर में प्रकट होता है, वो पाँच साल के बच्चे में प्रकट नहीं होता, है तो लेकिन प्रकट नहीं होता। क्रोध प्रकट हो रहा है, छोटे से बच्चे से कोई चीज़ छीन लो ऐं ! ऐं ! करके लड़ जाय, ऐसे ही जिस स्वरूप में शक्तियों को प्रकट नहीं करते भगवान्, उसमें शक्तियाँ तो हैं, एक भी शक्ति कम नहीं है, लेकिन समय पर प्रकट होता है, तब उसका नाम भगवान् हो जाता है।

• सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' भाग - 3, प्रश्न संख्या - 4

★★★
ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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