किचन में कहां रखें फ्रिज सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान, किस ओर मुंह करके खाना पकाएं?
आमतौर पर लोग घर बनवाते वक्त किचन के लिए कम कम स्पेस रखते हैं. जिसे वास्तु शास्त्र के नजरिए से अच्छा नहीं माना गया है. दरअसल वास्तु शास्त्र के जानकारों का मानना है कि किचन बनवाते समय जगह का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि रसोई के उपकरण और सामग्री के लिए पर्याप्त जगह होना चाहिए. किचन में फ्रीज सहित अन्य उपकरण कहां रखना उचित होगा, इसके बारे में जानते हैं.
-वास्तु शास्त्र के मुताबिक अग्नि तत्व से किचन का संबंध है. ऐसे में किचन का अग्नि कोन में होना बेदह जरूरी है. पूरब और दक्षिण के कोन को आग्नेय या अग्नि कोन कहते हैं. अग्नि के रजस गुण के कारण यह दिशा किचन के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई है. यदि इस दिशा में किचन बनवाना संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम के कोन में रसोई बनवाई जा सकती है.
-वास्तु शास्त्र के मुताबिक किचन में चूल्हा आग्नेय कोण में रखना शुभ होता है. जबकि खाना पकाने वाले का मुंह पूरब दिशा में होना चाहिए. क्योंकि इससे घर में धन की वृद्धि होती है. साथ ही सेहत भी अच्छा रहता है.
-किचन में पीने का पानी, हाथ या बर्तन धोने के लिए नल ईशान कोण में होना शुभ है. इसके अलावा किचन में सिंक यानि बर्तन धोने के लिए उत्तर-पश्चिम की दिशा शुभ होती है.
-किचन में खाली सिलेंडडर नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में रखना चाहिए, जबकि उपयोग में आने वाला सिलेंडर दक्षिण दिशा की ओर रखना शुभ होता है. इसके अलावा किचन में चावल, आटा, दाल, मसाले के डिब्बे, बर्तन आदि दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना शुभ होता है.
-किचन में टोस्टर, गीजर, आइक्रोवेव ओवन आग्नेय कोण में रखना चाहिए. जबकि मिक्सर, जूसर, आदि आग्नेय कोण के समीप दक्षिण दिशा में रखना चाहिए.
-अगर किचन में फ्रीज रखना चाहते हैं तो इसके लिए दक्षिण या पश्चिम दिशा उपयुक्त मानी गई है. रेफ्रीजिरेटर को भूलकर भी ईशान या नैऋत्य कोण में नहीं रखना चाहिए. क्योंकि इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है.
-अगर किचन में काले रंग का पत्थर लगा हुआ है तो इसके निगेटिव एनर्जी के दुष्प्रभाव से बचने के लिए रसोई में स्वास्तिक का चिह्न बना सकते हैं. इसके किचन का वातावरण सकारात्मक हो जाता है.
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