सूर्य देवता को समर्पित मार्तंड सूर्य मंदिर
भारत में चार प्रमुख सूर्य मंदिर हैं। उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान और कश्मीर में। उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा को मोढेरा सूर्य मंदिर, राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर और कश्मीर का मार्तंड मंदिर। उड़ीसा, गुजरात और राजस्थान के सूर्य मंदिर तो फिर भी बेहतर स्थिति में हैं लेकिन कश्मीर का मार्तंड सूर्य मंदिर के सिर्फ अवशेष ही बचे हैं। जम्मू- कश्मीर के अनंतनाग जिले से केवल 9 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है मार्तंड सूर्य मंदिर। इस मंदिर का निर्माण कर्कोटक वंश से संबंधित राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर सातवीं-आठवीं शताब्दी पूर्व का है। यह मंदिर सन् 725-756 ई. के मध्य बना था।
यह मंदिर अपनी अद्भुत आर्यन संरचना के लिए काफी लोकप्रिय है। यह मंदिर कश्मीरी हिंदुओं की कुशल कला का परिचय देता है और यह पवित्र स्थान भास्कर या सूर्य देव को समर्पित है। वर्गाकार आकार का ये मंदर चूना पत्थर से बना है। आपको बर्फ से ढंके पहाड़ों के करीब मंदिर के खंडहर मिलेंगे। अपनी उत्कृष्ट कला, डिजाइन और सुंदरता के मामले में ये मंदिर ताजमहल, पार्थियन और सेंट पीटर्स का मुकाबला करता है।ॉ
यहां पर सूर्य की पहली किरण के साथ ही मंदिर में पूजा अर्चना का दौर शुरू हो जाता है। मंदिर की उत्तरी दिशा से ख़ूबसूरत पर्वतों का नज़ारा भी देखा जा सकता हैं। यह मंदिर विश्व के सुंदर मंदिरों की श्रेणी में भी अपना स्थान बनाए हुए है। मार्तण्ड सूर्य मंदिर का प्रांगण 220 फुट & 142 फुट है। यह मंदिर 60 फुट लम्बा और 38 फुट चौड़ा था। इस के चतुर्दिक लगभग 80 प्रकोष्ठों के अवशेष वर्तमान में हैं। इस मन्दिर के पूर्वी किनारे पर मुख्य प्रवेश द्वार का मंडप है। इसके द्वारों पर त्रिपाश्र्वित चाप (मेहराब) थे, जो इस मंदिर की वास्तुकला की विशेषता है। द्वारमंडप तथा मंदिर के स्तम्भों की वास्तु-शैली रोम की डोरिक शैली से कुछ अंशों में मिलती-जुलती है। मार्तण्ड मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर कश्मीरी हिंदू राजाओं की स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। कश्मीर का यह मंदिर वहां की निर्माण शैली को व्यक्त करता है। इसके स्तंभों में ग्रीक संरचना का इस्तेमाल भी किया गया है।
माना जाता है कि 7वीं-8वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को मुगल आक्रमणकारियों ने खासा नुकसान पहुंचाया था। पहले ये मंदिर काफी समृद्ध और सूर्य उपासकों के लिए आस्था का केंद्र हुआ करता था। लेकिन, कहा जाता है मुगल काल में इस मंदिर पर कई बार आक्रमण हुए। इसलिए, आज ये मंदिर अब सिर्फ अवशेष जैसी अवस्था में है।
----
Leave A Comment