ग्रहों के हिसाब से घर में पेड़ लगाएंगे, तो मिलेेंगे ये फायदे.....
वास्तुशास्त्र में घरों में पेड़- पौधे लगाने के अपने नियम- कायदे हैं। वहीं ज्योतिषशास्त्र में जातक को ग्रहों के हिसाब से पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है। ज्योतिष शास्त्र में वृक्षों को देवताओं और ग्रहों के निमित्त लगाकर उनसे शुभ लाभ प्राप्त किये जाने का उल्लेख मिलता है।
पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का तो आंवला और तुलसी में विष्णु का, बेल और बरगद में भगवान शिव का जबकि कमल में महालक्ष्मी का वास माना गया है। जामुन का वृक्ष धन दिलाता है तो पाकड़ ज्ञान और सुयोग्य पत्नी दिलाने में मदद करता है। बकुल को पापनाशक, तेंदु को कुलवृद्धि, अनार को विवाह कराने में सहायक और अशोक को शोक मिटाने वाला बताया गया है। श्रद्धा भाव से लगाया गया वृक्ष कई मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। कन्या के विवाह में देरी हो रही हो तो कदली वृक्ष की सूखी पत्तियों से बने आसान पर बैठकर कात्यायनी देवी की पूजा करने चाहिए। शनि ग्रह के अशुभ फल को दूर करने हेतु शमी वृक्ष के पूजन से लाभ मिलता है। कदंब व आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर यज्ञ करने से लक्ष्मी जी कृपा मिलती है।
वहीं अशुभ प्रभाव देने वाले ग्रहों की शांति और प्रसन्नता के लिए ज्योतिष में रत्नों के स्थान पर जड़ी बूटी धारण करने की सलाह दी जाती है जो वृक्षों से ही प्राप्त होती है। सूर्य के लिए बेलपत्र, चंद्र के लिए खजूर या खिरनी, मंगल के लिए अनंतमूल, बुध के लिए विधारा, गुरु के लिए भृंगराज, शुक्र के लिए अश्वगंध, शनि के लिए शमी, राहु के लिए श्वेत चंदन और केतु के लिए असगंध की जड़ को शुभ दिन और नक्षत्र में लाकर विधि-विधान से धारण कर सकते हैं।
ग्रहों के पेड़-
सूर्य- मदार, तेज फल का वृक्ष। इनसे बौद्धिक प्रगति, स्मृति शक्ति का विकास होता है।
चंद्र- दूध वाले पौधे, वृक्ष, पलाश। इनसे मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
मंगल- नीम और खैर का वृक्ष। इनसे रक्त विकार तथा चर्म रोग ठीक होते हैं। प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
बुध- चौड़े पत्ते वाले पेड़ पौधे और लटजीरा और अपामार्ग या आंधी झाड़ा का पौधा। इसके स्नान से वायव्य बाधा का शमन व मानसिक संतुलन बना रहता है।
गुरु- पीपल का वृक्ष। इससे पितृदोष शमन, ज्ञान वृद्धि तथा भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
शुक्र- बेल जैसे मनीप्लांट, अमरबेल और गूलर। गूलर पूजना से पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है।
शनि- कीकर, आम, खजूर और शमी। शमी पूजन से धन, बुद्धि, कार्य में प्रगति, मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा बाधाएं दूर होती हैं।
राहु- चंदन, दूर्बा, कैक्टस, बबूल का पेड़ और कांटेदार झाडिय़ां। चंदन की पूजन से राहु पीड़ा से मुक्ति तथा सर्प दंश भय समाप्त होता है।
केतु- कुशा, अश्वगंधा, इमली का वृक्ष, तिल के पौधे या केले का वृक्ष। अश्वगंधा के होने से मानसिक विकलता दूर होती है।
जड़- सूर्य बेलमूल की जड़ में, चंद्र खिरनी की जड़ में, मंगल अनंतमूल की जड़ में, बुध विधारा मूल की जड़ में, गुरु हल्दी की गांठ वह जड़ में, शुक्र अरंडमूल की जड़ में, शनि धतूरे की जड़ में, राहु सफेद चंदन की जड़ में, केतु अश्वगंधा की जड़ में निवास करता है।
नोट- सूर्य के साथ शनि, राहु और केतु के, चंद्र के साथ शनि, राहु के, मंगल के साथ शुक्र व शनि के, बुध के साथ केतु और गुरु के, गुरु के साथ केतु, शुक्र और बुध के, शुक्र के साथ केतु और बुध के, शनि के साथ चंद्र, मंगल और सूर्य के, राहु के साथ केतु, सूर्य व चंद्र के, केतु के साथ राहु, गुरु, चंद्र, मंगल, सूर्य के पेड़ पौधे ना लगाएं वर्ना होगा नुकसान।
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