ब्रेकिंग न्यूज़

  जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी विरचित 'श्यामा श्याम गीत' ग्रन्थ का पहला भाग, दोहा संख्या 1 से 5
-जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 119

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित ग्रन्थ 'श्यामा श्याम गीत' का महात्म्य/प्रस्तावना तथा दोहे

०० 'श्यामा श्याम गीत' ग्रन्थ का परिचय ::: ब्रजरस से आप्लावित 'श्यामा श्याम गीत' जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की एक ऐसी रचना है, जिसके प्रत्येक दोहे में रस का समुद्र ओतप्रोत है। इस भयानक भवसागर में दैहिक, दैविक, भौतिक दुःख रूपी लहरों के थपेड़ों से जर्जर हुआ, चारों ओर से स्वार्थी जनों रूपी मगरमच्छों द्वारा निगले जाने के भय से आक्रान्त, अनादिकाल से विशुध्द प्रेम व आनंद रूपी तट पर आने के लिये व्याकुल, असहाय जीव के लिये श्रीराधाकृष्ण की निष्काम भक्ति ही सरलतम एवं श्रेष्ठतम मार्ग है। उसी पथ पर जीव को सहज ही आरुढ़ कर देने की शक्ति जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की इस अनुपमेय रसवर्षिणी रचना में है, जिसे आद्योपान्त भावपूर्ण हृदय से पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे रस की वृष्टि प्रत्येक दोहे के साथ तीव्रतर होती हुई अंत में मूसलाधार वृष्टि में परिवर्तित हो गई हो। श्रीराधाकृष्ण की अनेक मधुर लीलाओं का सुललित वर्णन हृदय को सहज ही श्यामा श्याम के प्रेम में सराबोर कर देता है। इस ग्रन्थ में रसिकवर श्री कृपालु जी महाराज ने कुल 1008-दोहों की रचना की है।

आइये इस रसमय ग्रन्थ में रचे गये दोहों का पठन तथा चिन्तन कर हम सभी अपनी आत्मोन्नति के लिये लाभ प्राप्त करें :::::: 

श्यामा रटें श्याम श्याम श्याम रटें श्यामा।
श्यामा  श्याम  आठु  याम  रटें  ब्रजबामा।।1।।

अर्थ ::: श्रीवृषभानुनन्दिनी निरन्तर श्याम श्याम की रटना करती हैं। नंदनंदन प्रति पल राधे राधे रटते हैं। ब्रजगोपियाँ रात-दिन श्यामा-श्याम के सरस नामामृत का पान करती हैं।

मनमानी तजु भज श्याम अरु श्यामा।
जाने कब तनु छिन जाय कह बामा।।2।।

अर्थ ::: अरे जीव! मनमानी छोड़कर निरन्तर श्यामा-श्याम का स्मरण कर। न जाने मृत्यु कब तुझसे यह मानव-शरीर छीन ले।

मैं, मैं, मैं, मैं काहे करे मूढ़ आठु यामा।
अज जानि काल वृक भेजे यम धामा।।3।।

अर्थ ::: अरे मूर्ख! बकरे के समान रात दिन मिथ्या अभिमान-वश 'मैं मैं' क्यों करता है? काल-रूपी भेड़िया तुझे यमलोक भेजने की तैयारी में लगा है।

भुक्ति मुक्ति सुख सुख वैकुण्ठ धामा।
तजु काम एक नाम रटु श्याम श्यामा।।4।।

अर्थ ::: ब्रम्हलोक-पर्यन्त के सुख, मुक्ति की कामना एवं बैकुण्ठ लोक की भी कामना का परित्याग कर एकमात्र श्यामा-श्याम का नाम रट।

शुक के समान जनि रटु श्याम श्यामा।
बक के समान ध्यान करु कह बामा।।5।।

अर्थ ::: हे जीव! तोते के समान भाव से अनभिज्ञ रहकर केवल रसना से श्यामा-श्याम रटने से काम नहीं बनेगा। बगुले के समान एकाग्रता-पूर्वक कोटि-काम-कमनीय युगल सरकार के रुपध्यान-पूर्वक जब तू उनके पावन नाम का स्मरण करेगा तब नाम अपने प्रभाव से तेरे हृदय को द्रवीभूत कर देगा।

०० रचनाकार ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english