अपने नित्यधाम वृन्दावन में श्री किशोरी जी के नित्य विहार की एक मधुर झाँकी (स्मरण)
जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 121
(श्रीधाम वृन्दावन की एक मधुर झाँकी का वर्णन)
..अपने नित्यधाम वृन्दावन में सदा किशोरी जी (श्रीराधा) जाती हैं।
कैसे जाती हैं?
- श्यामसुन्दर के साथ जाती हैं।
- साथ में कैसे जाती हैं?
- एक दूसरे के गले में हाथ डाल कर जाते हैं।
- आँखों में प्यार और कृपा, इन दो शक्तियों को भर कर, इधर-उधर सखियों की ओर देखते हुये जाती हैं।
ऐसी किशोरी जी का मैं ध्यान करता हूँ। ऐसी सत्, चित्, आनन्द रूप किशोरी जी का ध्यान करता हूँ।
(जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से नि:सृत)
00 सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश पत्रिका, मार्च 2001 अंक
00 सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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