रहस्यमयी चमत्कारों से भरा है निधिवन मंदिर
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है मथुरा। उत्तरप्रदेश के इस जिले में कई मंदिर और स्थल ऐसे हैं, जो आज भी वहां पर भगवान श्रीकृष्ण के होने का प्रमाण देते हैं। ऐसे ही स्थलों में से एक है वृंदावन का निधिवन धाम, जो रहस्यमयी चमत्कारों से भरा पड़ा है। निधिवन मथुरा से सिर्फ 15 किमी दूर वृंदावन में है।
राधा-कृष्ण निधिवन में रचाते हैं रास!
निधिवन को लेकर ये कहा जाता है कि यहां पर आज भी भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की मौजूदगी होती है और दोनों यहां आज भी रास रचाते हैं। ये घटना इस स्थान को अपने आप में रहस्यमयी बनाती है, क्योंकि इस बात के प्रमाण भी यहां पर पाए गए हैं।
मान्यता है कि निधिवन में अद्र्धरात्रि राधा-कृष्ण आते हैं और यहां रात्रि विश्राम कर प्रसाद भी ग्रहण करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के दरवाजे रात को अपने आप बंद हो जाते हैं और जैसे ही सुबह होती है, दरवाजे स्वत: खुल भी जाते हैं। ऐसा इसलिए कि श्रीकृष्ण हर रात यहां सोने आते हैं। इस मंदिर से और भी कई चमत्कार जुड़े हैं, जिनकी सच्चाई को लेकर शोध जारी है।
रोजाना खत्म होता है माखन मिश्री का प्रसाद
राधा रानी और भगवान बांकेबिहारी के लिए यहां के पुजारी रोजाना पलंग सजाते हैं। इसके लिए साफ-सुथरा बिस्तर और उसके ऊपर चादर बिछाई जाती है। उनके लिए माखन मिश्री के प्रसाद का इंतजाम किया जाता है। साथ ही श्रृंगार का सामान भी वहां रखा जाता है। एक लोटा में पानी और दातुन भी रखी जाती है। इन सब इंतजाम के बाद सुबह यहां का नजारा हैरान कर देने वाला होता है। बिस्तर इस तरह अस्त-व्यस्त होता है, जैसे कोई उस पर सोया हो। इतना ही नहीं, मंदिर में रखा गया माखन मिश्री का प्रसाद भी सुबह खत्म मिलता है। दातुन भी गीली मिलती है।
रात्रि के वक्त निधिवन में नहीं रुकता कोई
स्थानीय लोगों की मानें तो सूर्यास्त के बाद निधिवन के दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं। सभी यहां से चले जाते हैं, चाहे वो मंदिर के पुजारी हों या फिर आम लोग या फिर पशु-पक्षी। कहते हैं कि रात्रि के वक्त जो भी वहां रुकता है या फिर राधा-कृष्ण को देखने की कोशिश करता है तो वो अगले दिन किसी और को कुछ बताने की स्थिति में नहीं रहता।
निधिवन से जुड़ी हैं ये मान्यताएं
निधिवन के इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि इस मंदिर में तानसेन के गुरु संत हरिदास ने अपने भजन से राधा-कृष्ण के जोड़ी को साक्षात अवतरित कराया था। तभी से दोनों यहां विहार (घूमने) आया करते थे। इस मंदिर में स्वामी जी की समाधि भी बनाई गई है। इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं जो लोगों को हैरान करते हैं, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
निधिवन के पेड़ होते हैं कुछ अजीब प्रकार
कहा जाता है कि निधिवन मंदिर के परिसर में जितने भी पेड़ हैं उनका विकास अजीब तरह से होता है। पेड़ की शाखाएं ऊपर की बजाए नीचे की ओर बढ़ती हैं। यही नहीं, किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं हैं। सबकी डालियां नीचे की ओर झुकी और आपस में गुंथी हुई पाई जाती हैं। ये सभी पेड़ जंगली तुलसी के हैं।
कृष्ण की गोपियां बनती हैं तुलसी के दो पौधे!
मंदिर के प्रांगण में तुलसी के दो पौधे साथ-साथ लगे हैं। ऐसा कहा जाता है कि रात को जिस वक्त राधा और कृष्ण रास रचाते हैं तो ये दोनों तुलसी के पौधे गोपियां बनकर उनके साथ नाचते गाते हैं। यही कारण है कि दोनों पौधों से कोई एक भी पत्ता नहीं तोड़ता था। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर कोई चोरी छिपे तुलसी के पत्ते तोड़कर अपने साथ ले गया, उसके साथ कुछ न कुछ हादसा होता है।
राधा-कृष्ण के लिए सजता है महल
लोगों का कहना है कि मंदिर के अंदर रंगमहल है। यहां राधा-कृष्ण का पलंग और पूरा महल सजाया जाता है। यही नहीं, राधा जी के लिए श्रृंगार का सामान भी रखा जाता है। इसके बाद मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं। अगली सुबह जब दरवाजे खुलते हैं तो सारा सामान उपयोग किया हुआ अस्त-व्यस्त दिखाई देता है।
- निधिवन के आसपास के ज्यादातर घरों में खिड़कियां नहीं हैं। यदि हैं तो वे मंदिर में शाम की आरती के बाद खिड़की बंद कर देते हैं। लोगों में डर है कि अंधेरा होने के बाद यदि मंदिर की दिशा में देखेंगे तो उनके साथ कुछ अनहोनी हो जाएगी।
-कहा जाता है कि निधिवन में जो 16 हजार आपस में गुंथे हुए तुलसी के वृक्ष मौजूद हैं, ये असल में श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियां हैं,जो रात में रानी का रूप लेककर उनके साथ रास रचाती हैं।
सच्चाई चाहे जो हो, एक बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यहां पहुंचने से लोगों को असीम आनंद और सुकून महसूस होता है।
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