संत-महापुरुष कहते हैं कि भगवतचिन्तन करो, पर क्या ये आवश्यक है कि संत या भगवान कृपा करें तब चिन्तन हो?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 202
साधक का प्रश्न ::: आप कहते हैं, भगवद्चिंतन करो। जब तक आपकी कृपा न हो तो चिंतन कैसे हो ? हम तो बड़ी कोशिश करते हैं लेकिन होता नहीं।
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: अगर भगवान या महापुरुष कृपा कर दें कि सबका भगवद्चिंतन होने लगे, तो ये संसार ही क्यों रहता!! किसी को कुछ करने के लिए वेद-पुराण आदेश क्यों देते कि तुम ऐसा करो, ऐसा करो, ऐसा न करो। भगवान ही सोच लेते, कृपा कर देते तो सब जीवों का कल्याणा हो जाता। और संत भी अनंत हुये हैं - तुलसी, सूर, मीरा, कबीर, नानक, तुकाराम; ये लोग कृपा क्यों नहीं कर दिये कि हम सब लोगों का कल्याण हो जाता!!
उनकी कृपा यही है कि हमको सही मार्ग बता दें। उसके बाद उस पर चलना, ये कृपा हम लोगों को करनी पड़ेगी। ये कृपा भगवान और महापुरुष नहीं करेंगे। उनके पास और है क्या, कृपा के सिवा। वो तो कृपा ही करते है, उनकी कृपा को रियलाइज़ करना ये हमारा काम है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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