जो श्रीराम के उपासक हैं, यदि वे श्रीकृष्ण की उपासना करने लगें तो क्या उनके इष्ट बदल जायेंगे? जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा उत्तर!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 204
साधक का प्रश्न ::: हम श्री राम की उपासना करते हैं। श्री कृष्ण की उपासना से इष्ट तो नहीं बदल जाएंगे?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: कुछ लोग कहते हैं कि हम राम के उपासक हैं। श्रीकृष्ण की उपासना तो करना चाहते हैं, इष्ट बदल जाने का भय है। बड़े ही खेद की बात है कि वे लोग इतना भी नहीं समझते कि एक ही पति को कई पोशाक में देखना, स्त्री के लिये पाप या व्यभिचार तो नहीं सिद्ध होता।
देखो, भगवान शंकर से बड़ा कौन राम-भक्त होगा, जो कृष्णावतार में अवतार होते ही नन्द जी के द्वार पर श्रीकृष्ण के दर्शनार्थ आ धमके, तथा महारास में भी पहुँच गये। इतना ही नहीं, रामावतार के समस्त परिकर कृष्णावतार में आये थे। उदाहरणार्थ; लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, क्रमशः बलराम, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध बनकर तथा सीताजी राधा बन कर, हनुमान जी युद्ध के समय पताका में ही रहकर, जाम्बवंत ने श्रीकृष्ण से घोर युद्ध कर, जनकपुर की स्त्रियाँ गोपी बनकर एवं शूर्पणखा कुब्जा बन कर, रावण भी शिशुपाल बनकर, इत्यादि समस्त रामावतार के परिकर कृष्णावतार में अवतरित हुये थे।
किन्तु यह बात अवश्य है कि कृष्णावतार की प्रेम-लीलायें विशेष मधुर हैं, जिसे रामावतार में राम से ही लोगों ने मांगी थी, अतएव, वह कृष्ण प्रेम-लीला सिद्धांततः राम-लीला ही है।
फिर भी साधक की स्वेच्छा पर निर्भर है। राम की त्रेतावतार की, अथवा राम की ही द्वापरावतार की, जिस अवतार की भी लीला, साधक को प्रिय हो, उसी का अवलंबन कर ले। उसके मस्तिष्क का कीड़ा (इष्ट बदलने वाल कीड़ा) आगे चल कर अपने आप झड़ जायगा। जिसको गहरी प्रेम-मदिरा छाननी हो, उसे कृष्णावतार की ही रामलीला का अवलंबन ग्रहण करना होगा।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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