जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत प्रवचनों से 5-सार बातें (भाग - 12)
जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 208
०० जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत प्रवचनों से 5-सार बातें (भाग - 12) ::::::
(1) हरि-गुरु हमारी रक्षा करते हैं, वे हमारी रक्षा कर रहे हैं, वे आगे भी हमारी रक्षा करेंगे, इस पर विश्वास कर लो।
(2) जो भक्त सिद्धावस्था को प्राप्त कर चुके हैं उन्हें कभी कहीं भी माया स्पर्श नहीं कर सकती। मायापति भक्त के पीछे-पीछे चलता है तब उसकी दासी माया भला भगवान् के प्राणप्रिय भक्तों का क्या बिगाड़ सकती है।
(3) जो बहुत बड़े पापी होते हैं उनकी श्रीहरि लीला कथा में रुचि नहीं होती है। ये लोग बस कूकर शूकर की भाँति जीवन व्यतीत करते हैं। जैसे शूकर को पाख़ाना (गंदगी) में लोटने में परम सुख मिलता है ऐसे ही इन पापियों को संसार के झूठे सुखों में सुख प्रतीत होता है। ये संसार में झूठ में ही मस्त रहते हैं और भक्तों से ईर्ष्या द्वेष भाव रखते हैं।
(4) भगवान् और महापुरुषों के कार्य सुनिश्चित लीला के अनुसार दिव्य होते हुए भी प्राकृत दिखाई देते हैं। उनका अवतार लेने का एक ही उद्देश्य होता है जीव कल्याण अर्थात परोपकार।
(5) देखो! एक सिद्धांत सदा समझ लो, जब तक हमको भगवत्प्राप्ति नहीं हो जाती, तब तक हम पर माया का अधिकार रहेगा। जब तक माया का अधिकार रहेगा, तब तक काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि सब दोष रहेंगे। इसके अतिरिक्त पिछले अनन्त जन्मों के पाप भी रहेंगे क्योंकि भगवत्प्राप्ति पर ही समस्त पाप भस्म होते हैं।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म संदेश एवं साधन साध्य पत्रिकाएँ
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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