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 अन्तःकरण की शुद्धि हेतु आँसू बहाना आवश्यक है, परन्तु भगवान के लिये आँसू क्यों नहीं आते?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 212

साधक का प्रश्न : आप कहते हैं कि अंतःकरण शुद्धि के लिए आँसू आना आवश्यक है। वह तो कभी आते नहीं?
     
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: आँसू बहाने के लिए दीनता का भाव लाओ। अपने को पतित, निराश्रित महसूस करो, आँसू अवश्य आयेंगे। आँसू का न आना ही सिद्ध करता है कि हमारे अन्दर अभिमान छिपा है जो हमें पतित अनुभव नहीं करने देता।

बार-बार प्रयास करो, भगवान् के दिव्य दर्शन की परम व्याकुलता पैदा करो। जब भगवान् की याद में अंतःकरण पिघलेगा, आँसू बहाये जायेंगे, मन की कलुषता निकलेगी तो भगवान् उसमें सदा के लिए विराजमान हो जायेंगे।

आँसू आने पर भी अभिमान न आने पाये, नहीं तो वे भी छिन जायेंगे। जब तक श्यामा-श्याम न मिल जायँ तब तक सब आँसू बेकार ही हैं। जब असली आँसू आवेंगे तो भगवान् को उन्हें पोंछने के लिए स्वयं आना पड़ेगा।

०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

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