सूरदास, तुलसीदास आदि महापुरुष कैसे एक सेकण्ड में भगवान के शरणागत हो गये, जबकि वे संसार में घोर आसक्त थे?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 229
साधक का प्रश्न ::: ये जो बड़े-बड़े महापुरुषों का इतिहास मिलता है, तुलसीदास हैं, सूरदास हैं, मीरा हैं, कि इतने आसक्त संसार में सूरदास, इतने आसक्त तुलसीदास, और एक सेकिण्ड में एबाउट टर्न हो गये। ये कैसे ?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: ऐसा नहीं। तमाम जन्मों से साधना कर रखा था। थोड़ी सी कमी रह गई थी तो इस जन्म में वो पूरी हो गई। जिसकी पहले कमाई अधिक है उसका जल्दी आकर्षण हो जाता है भगवान् में, महापुरुष में। जिसका मन गन्दा है, पाप अधिक है वो देर में खिंचता है। बस इतना सा अन्तर है।
एक चुम्बक रख दो बीच में और चारों तरफ सुइयाँ खड़ी कर दो। एक सुई क्लीन, केवल लोहे की है। वो तुरन्त खिंच जाएगी। चुम्बक में आकर तुरन्त चिपक जायेगी। दूसरे में टेन पर्सेन्ट मिलावट है वो धीरे-धीरे चलेगी, एक में फिफ्टी पर्सेन्ट मिलावट है वो और धीरे-धीरे चलेगी। एक में नाइन्टी पर्सेन्ट मिलावट है वो अपनी जगह हिलेगी, चलेगी नहीं। ऐसे ही भगवान् और महापुरुष को देख कर, पाकर जो शुद्ध अन्तःकरण है, तुरन्त चिपक जाता है। शरणागत हो जाता है। जिसमें जितनी गन्दगी है वो उतनी ही देर में आकृष्ट होता है। लेकिन होना तो सबको है। अभ्यास करो। प्रैक्टिस करो। करना तो पड़ेगा। उसके बिना छुट्टी नहीं मिलना है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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