प्रेमावतार श्री चैतन्य महाप्रभु जी की आज है जयन्ती, कलियुग में जिन्होंने 'हरिनाम-संकीर्तन' की परंपरा प्रारम्भ की!!
'श्री चैतन्य-महाप्रभु जयंती'
गौर पूर्णिमा, 28 मार्च 2021
(पावन स्मरण-लेख)
धनि गौरांग धनि उन परिजन,
धनि धनि नदिया ग्राम रे..
भजु गौरांग भजु गौरांग, भजु गौरांगेर नाम रे..
(श्री कृपालु महाप्रभु विरचित 'ब्रज रस माधुरी' ग्रंथ में)
आज कलियुग में अवतरित हुये प्रेमावतार श्री चैतन्य महाप्रभु जी की जयन्ती है। आप सभी को इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। आइये इस परम पुनीत पर्व पर उन श्री चैतन्य महाप्रभु जी के श्रीचरणों में प्रेम भरा प्रणाम अर्पित करें..
- जो स्वयं श्रीराधाकृष्ण के मिलित अवतार हैं और 'गौरांग' के नाम से जाने गये..
- जिन्होंने बंगाल के 'नदिया' ग्राम में शचीमाता की गोद में लगभग 500 वर्ष पूर्व अवतार ग्रहण किया (फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा, सन 1486)
- श्री अद्वैताचार्य जी की प्रार्थना पर जिन्होंने अवतार लेकर राधाभाव को अंगीकार किया और कलियुग में 'हरिनाम संकीर्तन' का आविष्कार किया..
- समस्त भारतवर्ष में 'हरे राम महामंत्र' और 'हरि बोल' संकीर्तन के माध्यम से सभी को कृष्णप्रेम में सराबोर किया..
- जिन्होंने अपने अन्य समस्त परिकरों यथा; रुप-जीव तथा सनातन गोस्वामी सहित षड्गोस्वामी तथा हरिदास आदि भक्तों के माध्यम से ब्रज-वृन्दावन के विलुप्तप्राय लीलास्थलों को खोजा..
- जिन्होंने सदैव समस्त जीवों से एकमात्र 'हरिनाम' की भिक्षा माँगी, 'हरि बोल' 'हरि बोल' के दिव्य संकीर्तन तथा नृत्य के द्वारा सभी के हृदयों में बरबस भगवत्प्रेम का संचार किया..
- जिन्होंने अपने अवतार काल में शस्त्र नहीं उठाया अपितु एकमात्र 'प्रेम' के द्वारा दुष्टों तथा महापापियों को भी भगवत्प्रेमरस प्राप्ति का अधिकारी बनाया..
- 'अष्टपदी' आदि ग्रंथों में जिन्होंने जीवों को कृष्णप्रेम प्राप्ति के अनमोल सिद्धान्त दिये और स्वयं अपने जीवन के पग-पग पर उसका आचरण करके सिखाया भी..
- जिन्होंने नित्यानंद, श्रीवास आदि भक्तवृन्दों के मध्य हरिनाम संकीर्तन, तथा श्रीजगन्नाथ जी के रथयात्रा में दिव्य महाभाव स्वरुप के दर्शन कराये..
- अवतारकाल के अंतिम 12 वर्ष जो जगन्नाथपुरी धाम के 'गम्भीरा' नामक छोटे से संकरे स्थल (कमरा) में दिव्य 'राधाभाव' में विरहाकुल होकर रोते रहे और श्रीजगन्नाथ जी में ही सशरीर समाकर अपनी 'प्रेमावतार' लीला को विराम दिया..
- सत्य यह है..
अद्यापिह सेइ लीला करे गौर राय,
कोन कोन भाग्यवान देखिवारे पाय..
उनकी लीला तो आज भी और अनंतकाल तक अहर्निश चलती रहेगी, प्रेमी-हृदय और रसिक-मन ही उन लीलाओं के दिव्य-दर्शन पा सकता है..
- 'हरि अनंत हरि कथा अनंता' के अनुसार उनकी महिमा अनंत है. सार बात यह है कि उनके पावन प्रेममय चरित्र का स्मरण करके अपने हृदयों में राधाकृष्ण की प्रेम और सेवाप्राप्ति का संकल्प जगायें...
...श्री गौरांग महाप्रभु तथा उनके परिकर धन्य हैं, उन सबकी बारंबार वंदना है, जय है, जय है, जय है.. जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने अपने साहित्यों तथा संकीर्तनों में श्री गौरांग महाप्रभु जी की स्तुति की है तथा उनके गुणों व कृपाओं का भी सरस वर्णन किया है। जिस संकीर्तन परम्परा को गौरांग महाप्रभु ने आरम्भ किया, उसी महान परम्परा को जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज ने भी आगे बढ़ाया तथा भगवान के नाम, रूप, लीला, गुण, धाम आदि युक्त सरस पद-संकीर्तनों द्वारा प्रेम-पिपासु जीवात्माओं को आनन्द प्रदान किया।
धन्य है यह भारतभूमि!! जहाँ भगवान तथा उनके अनन्य प्रेमीजनों के चरणों का स्पर्श है। हम उन प्रेमीजनों के पथ का अनुगमन करें, उनके आदेशों तथा निर्देशों का पालन करें और अपने हृदयों में भगवान के प्रति अनन्य निष्काम प्रेम विकसित करने का अभ्यास करें और उनसे प्रेम करते हुये उनकी नित्य सेवा प्राप्त कर लें, यही समस्त भगवत्प्रेमियों की हमसे महान आशा है!!
०० स्मरण लेख (पर्व-विशेष)
०० सन्दर्भ ::: 'ब्रज रस माधुरी' भाग - 1
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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