महापुरुष की कृपा न भगवान बता सकते हैं पूरा, न महापुरुष ही बता सकता है; जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत!!
जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 256
(जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से निःसृत प्रवचन का छोटा सा अंश, आचार्य श्री की वाणी नीचे से है...)
..एक बार संसार में कोई नौकर चोरी में पकड़ा जाये रंगे हाथों तो फिर वो नौकर चाहे कितनी ही ईमानदारी करे, घर में कोई चोरी होगी, ऐ! वो कहाँ है? बुलाओ उसको, वही चोर है। अरे चोर तो सब नौकर हैं जी! नहीं-नहीं और किसी नौकर ने हमारा कुछ नहीं चुराया। तुम्हारा नहीं चुराया और जगह चोरी किया है। या आज तक चोरी की मंशा और नौकरों की नहीं हुई, आज हो गई हो। अरे भई! कोई गलत काम करने की मंशा हमेशा थोड़े ही रहती है किसी की। कब हो जाय क्या ठिकाना। लेकिन साहब उसी को सदा आँख में रखेगा जिसको चोरी में पकड़ा गया।
लेकिन अनन्त बार चोरी पकड़ता हुआ भी भगवान और महापुरुष, जीव जब सच्चे हृदय से फिर क्षमा माँग करके शरणागत होना चाहता है तो वो कहते हैं ठीक है, ठीक है हो गया, हटाओ, बच्चे हैं होता रहता है। छोटे बच्चों की बातें माँ-बाप क्यों फील नहीं करते? लात भी मार दे रहे हैं माँ के मुँह में बाप के मुँह में। हाँ हाँ चूम लेती है माँ। बच्चा है। बड़ा होकर अगर वो लात मारने की बात भी कर दे, मम्मी! मैं वो मारूँगा। ये लो मम्मी का मूड ऑफ इतना हो गया कि निकल जा मेरे घर से। क्यों मम्मी! पहले तो मैं लात प्रैक्टीकल मारता था तो तू मेरी लात को चूम लेती थी और आज तो हमने खाली मुँह से कहा है एक लात मारूँगा और तू मुझे घर से निकाले दे रही है।
अरे बेटा! वो बात और थी, अब बात और है। अब तू पच्चीस साल का जवान धींगड़ा हो गया है और तेरी दुर्भावना नहीं थी, तू जानता ही नहीं था मुँह क्या है, मम्मी क्या है? बेटा क्या होता है? लात मारना क्या पाप होता है? इसलिये वो सब प्रिय था, हर व्यवहार प्रिय था। तो महापुरुष की कृपा को न तो भगवान बता सकता है पूरा पूरा, न महापुरुष बता सकता है। और जीव तो बेचारा क्या समझेगा उसकी तो हैसियत ही नहीं है। हाँ, स्पेशल केस जो है उनमें महापुरुष प्रारब्ध में भी कुछ हैल्प करता है, पूरा प्रारब्ध नहीं काटता, कुछ हैल्प कर देता है। लेकिन वह हैल्प बताता नहीं। वो सब चोरी चोरी करता है। जो कुछ अपने प्रिय के प्रति करता है महापुरुष। कभी भी स्वप्न में भी, किसी भी प्रकार से वो आउट नहीं कर सकता। वो कानून है उसके यहाँ, वो कॉन्फिडेंशियल फाइल है वो आउट नहीं हो सकती। लेकिन उसकी कृपा के विषय में कुछ भी कहना समुद्र की एक बूँद है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश पत्रिका, जुलाई 2007 अंक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
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