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क्लासिकल शतरंज की तैयारी के लिए बहुत अधिक प्रयास की जरूरत होती है: प्रज्ञानानंदा
नयी दिल्ली. भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा का मानना ​​है कि मैग्नस कार्लसन और हिकारू नाकामुरा जैसे खिलाड़ी धीरे धीरे क्लासिकल शतरंज से दूर हो रहे हैं जिसका कारण मानसिक और शारीरिक थकावट है जो लंबे समय तक लंबे प्रारूप में खेलने से आती है। पांच बार के विश्व चैंपियन कार्लसन और दुनिया के दूसरे नंबर के अमेरिकी ग्रैंडमास्टर नाकामुरा ने कम क्लासिकल मैच खेले हैं जबकि इनका ध्यान फ्रीस्टाइल, रैपिड और ब्लिट्ज प्रारूपों पर रहा है। इस साल तीन मुख्य क्लासिकल खिताब जीतने वाले प्रज्ञानानंदा का मानना ​​है कि खिलाड़ियों को क्लासिकल शतरंज के लिए लगने वाली घंटों की तैयारी पसंद नहीं है जिससे उन्हें रैपिड और ब्लिट्ज इससे अधिक संतोषजनक लगते हैं। प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘क्लासिकल शतरंज खेलना मुश्किल है क्योंकि हर कोई इसके लिए अच्छी तरह से तैयार होता है। क्लासिकल शतरंज में शुरूआती हिस्से की तैयारी बहुत अहम होती है। अगर आप इसकी तुलना फ्रीस्टाइल से करें तो आपको इससे पहले तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है जबकि क्लासिकल शतरंज में आपको तैयारी के लिए बाध्य होना पड़ता है। '' इस साल टाटा स्टील मास्टर्स, सुपरबेट क्लासिक और उज शतरंज कप जीतने वाले प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि कोई भी यह प्रक्रिया पसंद करता है लेकिन आप मजबूर हैं और आपको हर चीज के लिए एक योजना बनानी होती है। इसके लिए काफी अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है।'' चेन्नई के 19 वर्षीय खिलाड़ी को लगता है कि वर्षों तक क्लासिकल शतरंज खेलने के साथ ‘बर्नआउट' (थकान) की संभावना भी बढ़ जाती है। प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘और जब आप बहुत सारे ऐसे टूर्नामेंट खेलते हैं तो आपकी ऊर्जा भी खत्म हो जाती है। आप मानसिक और शारीरिक रूप से भी थक सकते हैं। इसलिए ये सभी चीजें होती हैं। मुझे लगता है कि यही कारण है कि हर कोई अन्य प्रारूपों को पसंद करता है। '' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुद फ्रीस्टाइल काफी पसंद है क्योंकि इसमें आपको खेल से पहले तैयारी करने की ज़रूरत नहीं होती। इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने खेल पर काम नहीं करना चाहते। हमें शतरंज पर काम करने में मजा आता है। '' प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘लेकिन सच यह है कि आपको तैयारियों में काफी घंटे लगाने पड़ते हैं। आपको तीन-चार घंटे की तैयारी करनी पड़ती है और सभी को यह पसंद नहीं आता। मुझे फ्रीस्टाइल पसंद है। मुझे रैपिड पसंद है और यह निश्चित रूप से क्लासिकल से थोड़ा अधिक पसंद है। लेकिन मुझे लगता है कि क्लासिकल अब भी मुख्य प्रारूप है। '' 

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