सरसों का दाम एमएसपी से कम, एसईए की सरकार से हस्तक्षेप की मांग
नयी दिल्ली। सरसों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरने पर खाद्य तेल संगठनों के प्रमुख निकाय साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। इसके साथ ही एसईए ने कीमतों में गिरावट को रोकने के उपायों के तहत रिफाइंड पाम तेल का आयात रोकने और सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू करने को भी कहा है।
एसईए ने खाद्य और वाणिज्य दोनों सचिवों को दिए एक मांगपत्र में कहा है कि थोक बाजार में सरसों की कीमतें 5,450 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से नीचे गिर गई हैं और आवक दैनिक आधार पर बढ़ रही है। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, ‘‘आगे कीमतों में और गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता है।'' उन्होंने यह भी कहा कि रिफाइंड पाम ऑयल के बेलगाम आयात से घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जो कटाई के चरम समय में सरसों के बीज के बिक्री को प्रभावित कर रही है और किसानों को संकट में डाल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि रिफाइंड पामोलिन के भारी आयात से न तो हमारे सरसों किसान को मदद मिल रही है और न ही भारतीय रिफाइनिंग उद्योग को।'' कीमतों में और गिरावट को रोकने के लिए एसईए ने सुझाव दिया है कि सरकार रिफाइंड पाम तेल के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में रखकर या कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलिन के बीच आयात शुल्क के अंतर को कम से कम 20 प्रतिशत तक बढ़ाकर इस गिरावट को रोके।
इसके अलावा सरकार नेफेड जैसी एजेंसियों के माध्यम से एमएसपी पर सरसों की खरीद शुरू करा सकती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में तोरिया-सरसों की बुवाई अधिक क्षेत्र 98.02 लाख हेक्टेयर में की गई है।
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