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देश का कृषि निर्यात वर्ष 2030 तक दोगुना होकर 100 अरब डॉलर होने की संभावना: वाणिज्य सचिव
 ग्रेटर नोएडा,। देश का 50 अरब डॉलर का मौजूदा कृषि निर्यात वर्ष 2030 तक दोगुना होकर 100 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने सोमवार को यह जानकारी दी।       उन्होंने कहा कि भारत वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को वर्ष 2030 तक 2,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। बर्थवाल ने यहां ‘इंडसफूड मेला-2024' में कहा, ‘‘मुझे पूरा भरोसा है कि आज भारत का 50 अरब डॉलर का निर्यात वर्ष 2030 तक दोगुना होकर लगभग 100 अरब डॉलर हो जाएगा।'' यह दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी खाद्य और पेय प्रदर्शनी है।
 सचिव ने कहा कि ‘रेडी-टू-ईट' खाद्य खंड जैसे क्षेत्रों में बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं।उन्होंने उद्योग जगत से आयातक देशों की तकनीकी मानक जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
 मेले का उद्घाटन करते हुए वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि चावल, गेहूं और चीनी सहित कुछ प्रमुख वस्तुओं की खेप पर लगाए गए अंकुशों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में देश का कृषि निर्यात पिछले साल के 53 अरब डॉलर के स्तर से अधिक रहेगा। इससे पहले एक अधिकारी ने कहा था कि निर्यात प्रतिबंध और अंकुशों की वजह से इस वित्त वर्ष में लगभग चार से पांच अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा। सरकार ने गेहूं और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है और चीनी निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। कार्यक्रम में भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद के अध्यक्ष मोहित सिंगला ने कहा कि दुनिया भर से लगभग 90 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 1,200 से अधिक प्रदर्शक और 7,500 से अधिक खरीदार तीन दिवसीय शो में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा, इसमें कैरेफोर, खिमजी रामदास, ग्रैंड हाइपरमार्केट, नेस्टो, मुस्तफा, एक्स5, लुलु, अल्माया ग्रुप और स्पार जैसी 80 से अधिक खुदरा श्रृंखलाएं भी भाग ले रही हैं। गोयल ने यह भी कहा कि किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने, रोजगार पैदा करने और देश की कमाई बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर खाद्य प्रसंस्करण, उत्पाद ब्रांडिंग और निर्यात पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 158 खाद्य और कृषि उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (जीआई) के दर्जे दिए गए हैं, और उनके प्रचार के लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल के तहत 708 खाद्य पदार्थों की पहचान की गई है। गोयल ने उद्योग से फ्रोजन, डिब्बा बंद और खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करने, कौशल विकास, विश्वविद्यालय विनिमय कार्यक्रमों और क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। मंत्री ने कहा कि उद्योग को खाद्य पोषण को महत्व देते हुए गुणवत्ता, पोषण, जैविक सामग्री और पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।  

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