सीतारमण ने 1 करोड़ टैक्स पेयर्स को दी बड़ी राहत! बकाया Tax नोटिस वापस लेने का ऐलान
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को लोकसभा में पेश अंतरिम बजट में एक करोड़ टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत दी है। मोदी सरकार ने तय अवधि वाले टैक्स बकाया नोटिस को वापस लेने का ऐलान किया है।
सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2009-10 तक की अवधि के लिए 25,000 रुपये और 2010-11 से 2014-15 तक की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक के बकाया डायरेक्ट टैक्स डिमांड नोटिस को वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कदम से दशकों से चले आ रहे विवादों (Dispute) को समाप्त करके 1 करोड़ करदाताओं को फायदा मिलेगा।
इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स स्लैब में किसी तरह के बदलाव का कोई ऐलान नहीं किया। टैक्स व्यवस्था पिछली बार की तरह ही समान दरों पर बरकरार रहेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जहां तक टैक्स प्रपोजल (Tax Proposal) का का सवाल है, परंपरा को ध्यान में रखते हुए टेक्सएशन से संबंधित कोई भी बदलाव करने का प्रस्ताव नहीं है। इम्पोर्ट ड्यूटी समेत डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टैक्स के लिए समान दरों को बनाए रखने का प्रस्ताव है।”
वर्तमान में क्या है टैक्स व्यवस्था
वर्तमान टैक्स में न्यू टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को टैक्स में छूट दी जाती है। सरकार ने बजट 2023 में न्यू इनकम टैक्स रिजीम के तहत छूट (Tax Rebate) को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया। था।
ओल्ड टैक्स स्लैब
पुराने टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स देय नहीं होता है। इसके अलावा सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स से छूट मिलती है। इस हिसाब से देखा जाए तो टैक्सपेयर्स को करीब 6.5 लाख तक की सालाना इनकम पर टैक्स से छूट मिल जाती है यानी कि कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है।
पुराने और नए टैक्स रिजीम में क्या है अंतर
ओल्ड टैक्स प्रणाली में सेक्शन 80 C और 80 D के तहत टैक्सपेयर्स टैक्स बचा सकते हैं। लेकिन नई व्यवस्था में इस तरह की कई छूटों को खत्म कर दिया गया है। यही वजह है कि इस नई टैक्स प्रणाली को बहुत ही कम लोगों ने अपनाया है।
सैलरी वाले लोगों को नए टैक्स स्लैब से फायदा नहीं
जानकारों की मानें तो सैलरी पाने वाले लोगों को नई टैक्स प्रणाली से कोई फायदा नहीं है। इसकी वजह यह है कि इसमें उन्हें HRA, LTA , सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत मिलने वाली कर छूट नहीं मिलेगी।
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