वित्तीय धोखाधड़ी रोकने के लिए दूरसंचार विभाग की प्रौद्योगिकी का उपयोग करें बैंक : आरबीआई
नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग की प्रौद्योगिकी का उपयोग करने को कहा है। बुधवार को एक आधिकारिक बयान में यह कहा गया। दूरसंचार विभाग की यह प्रौद्योगिकी वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक उपकरण है। बैंक और वित्तीय संस्थान वास्तविक समय में वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) का उपयोग कर सकते हैं। यह वित्तीय धोखाधड़ी के मध्यम, उच्च या बहुत उच्च जोखिम के साथ उनके जुड़ाव के आधार पर मोबाइल नंबर को वर्गीकृत करता है। आंकड़े विभिन्न स्रोतों से एकत्र किये जाते हैं। इसमें भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी), दूरसंचार विभाग के चक्षु मंच और बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा साझा की गई खुफिया जानकारी शामिल है। बयान में कहा गया, ‘‘दूरसंचार विभाग 30 जून, 2025 को जारी रिजर्व बैंक की सलाह का स्वागत करता है, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, छोटे वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और सहकारी बैंकों को दूरसंचार विभाग के वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक को अपनी प्रणाली में एकीकृत करने का निर्देश दिया गया है।'' दूरसंचार विभाग की ‘डिजिटल इंटेलिजेंस' इकाई ने मई, 2025 में इसे पेश किया था। हालांकि, इस प्रणाली की उपयोगिता पहले ही प्रदर्शित की जा चुकी है। वर्तमान में फोनपे, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, पेटीएम और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक जैसे प्रमुख संस्थान इस मंच का उपयोग कर रहे हैं। बयान के अनुसार, ‘‘ऐसे समय जब यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) पूरे भारत में सबसे पसंदीदा भुगतान प्रणाली बन गयी है, यह कदम लाखों नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने से बचा सकता है। एफआरआई दूरसंचार और वित्तीय दोनों क्षेत्रों में संदिग्ध धोखाधड़ी के खिलाफ त्वरित, लक्षित और सहयोगात्मक कार्रवाई की अनुमति देता है।


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