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  अंधविश्वास के कारण  बलि की घटनाएं - डॉ दिनेश मिश्र
- ग्रामीण अंधविश्वास में न पड़ें 
रायपुर।   अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा  शनिवार को धरसीवा  के पास  निनवा ग्राम में एक व्यक्ति के द्वारा   अपने घर के पूजाघर में स्वयं की बलि देने की खबर आई है।. पिछले दिनों बलरामपुर जिले के एक व्यक्ति ने अपने 4 वर्ष के बच्चे की बलि दे दी।  उसके कुछ दिनों पहले  नवरात्रि में भी कोरिया जिले में एक  धनेश्वर नामक बालक  की बलि का मामला सामने आया था। पिछले सप्ताह ही सरगुजा  के शंकरगढ़ में एक व्यक्ति ने एक झाड़ फूंक करने वाले बैगा की यह मानकर हत्या कर दी, कि वह झाड़  फूंक से उसको ठीक नहीं कर पा रहा है ।.अंधविश्वास के कारण यह  हत्या की घटनाएं अत्यंत दुखद है । ग्रामीणों को अंधविश्वास  भरोसा नहीं करना चाहिए एवं कानून को हाथ में नहीं देना चाहिए।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि अंधविश्वास में पड़ कर व्यक्ति मानसिक रुप में असंतुलित हो जाता है और वह मिथकों पर पूरी  तरह भरोसा करने लगता है। कही  सुनी  किस्से कहानियां , भ्रामक खबरें अफवाहें उसे और भी भ्रमित कर देती हैं और  वह अपराध कर बैठता है .।
डॉक्टर दिनेश मिश्र ने कहा  कि लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने की आवश्यकता है जिससे लोग सुनी सुनाई घटनाओं अफवाहें और भ्रामक खबरों पर भरोसा ना करें और अंधविश्वास में ना पड़े ।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा  कि कुछ मामलों  में व्यक्ति किसी इष्ट देवी, देवता ,का सपना आने और सपने में बलि  मांगने की  बात भी कहते हैं और कहते हैं कि उन्होंने उनके आदेश पर किसी की बलि /कुर्बानी दे दी है जबकि लोगों को यह सोचने की आवश्यकता है कि किसी की जान लेकर कर कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता और उसे अपराध करने के करण  अंततः जेल जाना पड़ता है.।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा  कि अंधविश्वास के करण जो व्यक्ति मानसिक उद्वेग में चला जाता है । तब वह कई बार स्वयं के अंदर किसी अदृश्य शक्ति में प्रवेश होने की बात भी करता है तथा वह किसी के सपने में आने या किसी के आदेश देने या कानों में आवाज सुनाई पढ़ने ऐसी बातें भी करता है जबकि यह एक प्रकार का मानसिक विचलन का ही कारण है ।,यह एक प्रकार का मासिक संतुलन का प्रतीक है और बहुत सारे लोग  बहुत संवेदनशील होते हैं और वह भावावेश में आकर कानून हाथ में लेते हैं,। इनमें से कुछ लोग सार्वजनिक  रुप से भी असंतुलित व्यवहार भी प्रकट करते हैं जैसे झूमना ,बड़बड़ाना मारना पीटना आदि .। ऐसे में किसी चिकित्सक  को किसी को दिखाया जाए उसका उपचार  हो ,उसकी सभी  तरह से काउंसलिंग की जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है. और समाज के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
डॉ. दिनेश मिश्र 
अध्यक्ष अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति.

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