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 समावेशी शासन से दुनिया में बढ़ रही भारत की ताकत -  अरूण साव

-उप मुख्यमंत्री ने एचएनएलयू में स्वामी विवेकानंद स्मृति व्याख्यान में साझा किए अपने विचार
-’स्वामी विवेकानन्द के समावेशी शासन के दृष्टिकोण' विषय पर छात्र-छात्राओं को किया संबोधित
 रायपुर।  उप मुख्यमंत्री तथा विधि एवं विधाई कार्य मंत्री श्री अरूण साव ने आज नवा रायपुर स्थित हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (HNLU) में स्वामी विवेकानंद स्मृति व्याख्यान में अपने विचार साझा किए। विश्वविद्यालय द्वारा स्वामी विवेकानंद की जयंती पर हर वर्ष 12 जनवरी को आयोजित होने वाले व्याख्यान में इस बार का विषय ‘स्वामी विवेकानन्द के समावेशी शासन के दृष्टिकोण' था। उप मुख्यमंत्री श्री साव ने सालाना व्याख्यान माला के इस तीसरे आयोजन में विस्तारपूर्वक अपने विचार रखे। उन्होंने विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। कुलपति प्रो. (डॉ.) वी.सी. विवेकानंदन ने कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण और छात्र कल्याण के डीन डॉ. अविनाश सामल ने स्वागत भाषण दिया।
उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव ने विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने समावेशी शासन को अपनाते हुए सामाजिक असमानता को दूर करने पर जोर दिया था। देश और देशवासियों को साथ लेकर चलना ही समावेशी शासन है, जो आज भारत में हो रहा है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की सदी है। हमारा देश दुनिया का नेतृत्व करने को तैयार है। भारत एक बार फिर विश्व गुरू बनने की दिशा में अग्रसर है। समावेशी शासन और समावेशी विकास से पूरी दुनिया में भारत की ताकत बढ़ रही है। जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, स्वच्छ भारत मिशन जो आज जन आंदोलन बन गए हैं, ये सब समावेशी शासन की मिसाल हैं।
श्री साव ने स्वामी विवेकानंद के विचारों और दर्शन को रेखांकित करते हुए कहा कि जब वंचित और जरूरतमंद लोगों के लिए सरकार योजना बनाती है, तो उनके जीवन में बदलाव आता है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के कथन ‘नर सेवा ही नारायण सेवा है’ का उल्लेख करते हुए कहा कि कमजोरों को सशक्त बनाए बिना समाज और देश सशक्त नहीं बन सकता है। इसके लिए समावेशी शासन जरूरी है। उन्होंने दुनिया के लोगों को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का सूत्र दिया।
श्री साव ने स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो धर्म संसद में दिए गए व्याख्यान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने हमारी सोच, जीवन पद्धति, दर्शन, सामाजिक व्यवस्था और परिवार की अवधारणा से पूरी दुनिया को रू-ब-रू कराया। हमारी आध्यात्मिक ताकत को विश्व के सामने रखा। पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण हमारी आध्यात्मिक संस्कृति जो कुछ ओझल हो गई थी, उसे पुनर्प्रतिष्ठित किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने नैतिकता, संस्कार और आध्यात्म से परिपूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर जोर दिया था। उन्होंने सबके लिए एक समान शिक्षा व्यवस्था की वकालत की थी। वे चाहते थे कि लोकतंत्र में सबकी भागीदारी हो और सबकी सलाह से समावेशन हो।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने अपने व्याख्यान में कहा कि स्वामी विवेकानंद ने 39 वर्ष के अल्प जीवन काल में भारतीय दर्शन, संस्कृति और आध्यात्म की प्रतिष्ठा व वैभव को लौटाने का जो काम किया है, वह बेमिसाल है। उन्होंने अपने दर्शन से समावेशी शासन का मार्ग स्पष्ट किया। श्री साव ने छात्र-छात्राओं से आव्हान किया के वे स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श बनाएं, उन्हें पढ़कर नई दृष्टि और नई दिशा मिलेगी, आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा, आपकी दशा और दिशा में बदलाव आएगा। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में मौजूद थे। रजिस्ट्रार डॉ. विपन कुमार ने आभार प्रदर्शन किया।

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