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भूकंप पीड़ितों को मदद पहुंचाने की कोशिश में जुटी नेपाल सरकार

काठमांडू. नेपाल के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र में शुक्रवार को आए भूकंप के कारण कम से कम 157 लोगों की मौत होने और भीषण तबाही मचने के बीच हिमालयी देश के प्राधिकारी बचाव एवं राहत कार्य में जुटे हैं। नेपाल में शुक्रवार आधी रात से ठीक पहले आए 6.4 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र काठमांडू के 500 किलोमीटर पश्चिम में स्थित जाजरकोट जिले में था। भूकंप के कारण पर्वतीय क्षेत्र में सैकड़ों मकान नष्ट हो गए और कई लोगों को शनिवार को खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ी। इस त्रासदी में मारे गए कुल 157 लोगों में से 120 लोगों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं। इस भूकंप में करीब 253 लोग घायल हुए हैं। यह 2015 के बाद देश में आया सबसे विनाशकारी भूकंप है। मृतकों के रिश्तेदार शवों के अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुटे हैं। भूकंप ने जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिलों में सबसे अधिक तबाही मचाई है, लेकिन जाजरकोट में एक नगर निकाय क्षेत्र ऐसा भी है, जहां इस त्रासदी के कारण कोई हताहत नहीं हुआ। ‘काठमांडू पोस्ट' समाचारपत्र ने बताया कि बारेकेट ग्रामीण नगर निकाय में मकानों और सार्वजनिक बुनियादी ढांचों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन वहां एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई। ग्रामीण निकाय के प्रमुख बीर बहादुर गिरि ने कहा, ‘‘जब हम बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए मकानों को देखते हैं तो यह विश्वास करना मुश्किल होता है कि हममें किसी की जान नहीं गई। यह देवभूमि है और कई लोगों का मानना है कि ईश्वर ने उनकी रक्षा की है।'' उन्होंने बताया कि ग्रामीण निकाय क्षेत्र में पांच लोग घायल हुए हैं जहां लगभग 3,500 मकान हैं। गिरि ने कहा, शायद ही कोई ऐसा मकान बचा हो जो भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त न हुआ हो। कम से कम 90 प्रतिशत मकानों को फिर से बनाने की जरूरत है। लगभग 1,000 मकान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और लोग खुली जगहों पर रह रहे हैं।'' जाजरकोट के जिला प्रशासन कार्यालय (डीएओ) ने पुष्टि की कि बारेकोट निकाय क्षेत्र में कोई मौत नहीं हुई। अधिकारियों ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड' ने रविवार को एक कैबिनेट बैठक की जिसमें उन्होंने भूकंप में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को तत्काल राहत के रूप में दो-दो लाख रुपये नकद देने का फैसला किया। नेपाल सरकार ने भूकंप में घायल हुए लोगों का नि:शुल्क उपचार कराए जाने का निर्णय लिया।
         देश के स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री मोहन बहादुर बस्नेत ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा, ‘‘सभी घायलों का नि:शुल्क इलाज किया जाएगा, चाहे इसमें कितना भी खर्चा आए।'' मंत्री ने बताया कि भूकंप पीड़ितों के बचाव के प्रयास पूरे हो चुके हैं लेकिन बचावकर्मी अब भी ऐसे लोगों की तलाश कर रहे हैं जो ढही इमारतों के मलबे में फंसे हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, तिरपाल और तंबू पहुंचाने का काम शुरू हो चुका है। आगे भी इनका वितरण जारी रखने की योजना पर काम किया जा रहा है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जीवित बचे लोगों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाए।'' मंत्री ने कहा कि सरकार 2015 के भूकंप बाद की प्रतिक्रिया के दौरान हुई खामियों की पुनरावृत्ति इस बार नहीं होने देगी। नेपाल के निकटतम पड़ोसियों-भारत और चीन के अलावा अमेरिका ने हिमालयी देश को रसद संबंधी मदद मुहैया कराने और बचाव दल भेजकर पीड़ितों की तलाश में सहयोग करने की पेशकश की है। मंत्री ने बताया कि विभिन्न देशों ने भूकंप पीड़ितों को सहायता मुहैया कराने की इच्छा व्यक्त की है, इसलिए सरकार स्वीकार किए जाने योग्य सहायता के लिए मानक बनाएगी।

     स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने बताया कि आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण शनिवार सुबह अराजक स्थिति रही। जाजरकोट में सहायक मुख्य जिला अधिकारी हरिश्चंद्र शर्मा ने कहा कि जिला अस्पताल इतनी बड़ी संख्या में घायलों का उपचार करने के लिए अपर्याप्त संसाधन होने और खराब सुविधाओं की समस्या से जूझ रहा है। शर्मा ने कहा, ‘‘आपदा में अपने घर खोने वाले लोगों को ठंड में खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है। हमें उन्हें राहत सामग्री प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।'' जाजरकोट के मुख्य जिला अधिकारी सुरेश सुनार ने कहा कि बचाव प्रयास शुक्रवार रात शुरू कर दिए गए थे और शनिवार रात तक इन्हें सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया जिसके बाद रविवार को राहत वितरण शुरू हो सका। उन्होंने बताया कि भूकंप में 1,000 से अधिक घर प्रभावित हुए हैं।

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