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आपदा प्रबंधन की मिसाल बनी बिजली भंडार की आगजनी

उपलब्ध संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल व समन्वय से शीघ्र रोकथाम ,जनहानि,जनसंपत्ति हानि का बचाव
-- उमेश  कुमार मिश्र

एक कहावत  है 'जान है तो जहान है ' लेकिन यह समय की शिला पर उकेरा गया सबसे बड़ा सच भी है। दुनियाभर में जितने भी कर्म किये जाते हैं, उनमें सबसे  बड़ा काम वही माना जाता है, जो किसी की जान बचाने के लिए किया गया हो।
 05 अप्रैल 2024 को छत्तीसगढ़ की राजधानी, रायपुर के आसमान पर जो काले धुंये का गुबार छाया था, वह  सारे शहर में दहशत फैला रहा था कि पता नहीं कितनों की जान और माल पर कितना खतरा मंडरा रहा है?
आग के बारे में कहा जाता है कि वह पानी से बुझती है लेकिन तेल की आग पर पानी भी बेअसर होता है, तो सवाल उठता है कि ऐसी आग कैसे बुझेगी ? अब इस आग की विकरालता के साथ जुड़ी अन्य चुनौतियों पर भी गौर करना जरूरी है।
घनी बस्ती व ऑयल से भरे डिब्बा बन्द
एक ओर 132 के.वी. क्षमता का विद्युत उपकेंद्र और दूसरी ओर घनी बस्ती। उस घनी बस्ती और भभकती ज्वाला के बीच ऑयल से भरे हुए डिब्बाबंद ड्रम। एक छोटी सी बोतल में भरा पेट्रोल कितना विध्वंसक होता है, यह सब को पता है, तो ऑयल भरा हुआ डिब्बाबंद ड्रम कितना कहर ढा सकता है?
दूसरों की जान की परवाह करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य
यह सोचकर भी आत्मा कांप उठे। वह पर ऐसा एक नहीं, अनेक ड्रम थे। इन ड्रमों को वहां से हटा देना ही भयानक शक्तिशाली बमों को डिफ्यूज करने जैसा राहतकारी कदम था। थोड़ी ही दूरी पर, खुले मैदान पर पड़े ऑयल भरे ट्रांसफार्मर बमों की तरह फट रहे थे और उससे थोड़ी दूर ऑयल के ड्रमों को हटाने के लिए अपनी जान की बाजी वही लगा सकता है, जो दूसरों की जान की परवाह करता हो और जान बचाने को ही सबसे बड़ा कर्तव्य समझता हो।
अधिकारियों के फर्ज तो औरो के लिए प्रेरणा
ऐसे कुछ वीडियोज वायरल हुए हैं,  जिसमें एक महिला और कुछ पुरुष अधिकारी स्वयं ऑयल भरे ड्रमों को धकेलकर आग की जद से दूर ले जाते दिख रहे हैं। जैसे कि युद्ध जैसी बमबारी और धमाकों के बीच भी उन्हें सिर्फ एक ही आवाज सुनाई दे रही हो, बचाव, बचाव, बचाव। इनके साहस और जज्बे को सलाम करने के बजाय जो लोग दूरबीन लेकर लापरवाही ढूंढ रहे हैं, उनसे कुछ कहना निरर्थक है ।
श्रेष्ठतम प्रबंधन ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता
जाहिर है कि ऐसे हालातों के बीच वही व्यक्ति काम कर पाता है, जो यह जानता हो कि प्रिवेंटिव मेन्टेनेन्स की अपनी अहमियत तो है ही, लेकिन जब कोई आपदा आ ही गई हो तो उससे निपटने का हर संभव और श्रेष्ठतम प्रबंधन ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता है ।
न्यूनतम क्षति के साथ संकट से निजात
आपदा प्रबंधन का सबसे बड़ा सिद्धांत है, न्यूनतम क्षति के साथ संकट से निजात। छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के क्षेत्रीय भंडार के अग्निकांड में  जन हानि न होना और आम जनता की निजी संपत्तियों का लेशमात्र भी नुकसान न होना आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी कसौटी थी। इस कसौटी और चुनौती में खरा उतरना बेहद राहतदायी है। शहर के बड़े हिस्से में विद्युत आपूर्ति करने वाले 132 केवी उपकेंद्र, ऑयल के ड्रम, लगभग 100 ट्रांसफार्मर और अन्य कीमती उपकरण आग की भेंट चढ़ने से बच गए, यह निश्चय ही उपलब्धि है लेकिन इतनी भयानक आग में जनहानि नहीं होना अतुलनीय उपलब्धि है और इसके लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की प्रेरणा, उनके संबल की बहुत बड़ी प्रेरणा ने अपना काम किया।
बेहतर समन्वय से उत्कृष्ट परिणाम
छत्तीसगढ़ पाॅवर कंपनियों के अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ शासन के ऊर्जा विभाग के सचिव श्री पी.दयानंद  की भूमिका भी रेखांकित करने योग्य है। श्री दयानंद ने पहले भी कई बार कहा है कि दुर्घटना न हो, इससे सुखद कुछ हो नहीं सकता लेकिन अगर   कुछ अनहोनी घट ही गई हो तो संसाधनों के बेहतर समन्वय और सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन का कोई विकल्प नहीं होता। यही सीख 5 अप्रैल को काम आ गई।                       

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