देवउठनी एकादशी कल- क्या करें, क्या न करें
रायपुर। प्रदेश में देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को मनाई जाएगी। भारत वर्ष में इस एकादशी का काफी महत्व है। माना जाता है कि क्षीरसागर में चार माह की निद्रा के बाद इसी दिन भगवान विष्णु जागते हैं। इसीलिए इस दिन से विवाह आदि शुभ काम की शुरुआत होती है। देव दीपावली के मौके पर एक बार फिर दीपक की रोशनी से घर-आंगन जगमग होंगे।
देवोत्थान एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। दीपावली के ग्यारह दिन बाद आने वाली एकादशी को ही प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी या देव-उठनी एकादशी कहा जाता है। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से देव चार मास के लिए शयन करते हैं। इस बीच हिन्दू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य शादी, विवाह आदि नहीं होते। देव चार महीने शयन करने के बाद कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जागते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान (देव-उठनी) एकादशी कहा जाता है। देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक एकादशी के रूप में भी मनाई जाती है। इस दिन लोग तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराते हैं और मांगलिक कार्यों की शुरुआत करते हैं। हिन्दू धर्म में प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी का अपना ही महत्व है। माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उसको दिव्य फल प्राप्त होता है।
कल विवाह मुहूर्त नहीं
वर्ष में तीन बार विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त आते हैं। जिसमें बसंत पंचमी, देवउठान एकादशी व फुलैरा दौज शामिल हैं। ऐसे में आठ नवंबर शुक्रवार को देवउठान एकादशी है। लेकिन, वर्षों बाद इस बार राशियों के हेरफेर के चलते देवउठान एकादशी पर विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त नहीं है। इसका कारण वर्तमान में सूर्य तुला राशि में है। तुला राशि में सूर्य के होने से विवाह नहीं होते। देव उठनी एकादशी के बाद पहला विवाह मुहूर्त 18 नवंबर को है।
तुलसी विवाह के दिन क्या करें - क्या न करें
1. देवउठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम के साथ माता तुलसी के विवाह की परंपरा है। इस दिन अवश्य यह विवाह कराएं। माना जाता है कि इससे भगवान विष्णु के साथ ही माता तुलसी की कृपा प्राप्त होती है।
2. ंमाना जाता है कि जो दंपति कन्या संतान की इच्छा रखते हैं, उन्हें तुलसी- शालिग्राम का विवाह अवश्य कराना चाहिए। इस विवाह से सभी प्रकार के दोषों का शमन भी होता है।
3. जहां तक संभव हो इस दिन तुलसी का पौधा दान में दें। तुलसी का विवाह कराने के बाद उसे मंदिर में दान करें और नया पौधा तुलसी चौरा में रोपित करें।
4. इस दिन चांदी का तुलसी का पौधा खरीदने और उसकी पूजा करने से भी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
5. शालिग्राम- तुलसी विवाह सम्पन्न कराने के बाद तुलसी के पौधे के समीप एक दीप अवश्य जलाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन माता तुलसी को लाल रंग की चुनरी अवश्य अर्पित करें, इससे विवाह का सही फल जातक को प्राप्त होता है। साथ ही श्रंृगार की सामग्री भी अर्पित करें और बाद में उसे दान कर दें।
6. विवाह के उपरांत छोटी बालिकाओं को मीठा खिलाएं, इससे तुलसी माता प्रसन्न होती हैं।
7. विवाह के दिन तुलसी के पत्ते कभी न तोड़ें। माना जाता है कि इससे भगवान विष्णु कुपित होते हैं।
8. जहां तक संभव हो उस दिन सात्विक भोजन बनाएं और व्रत भी रखें। खाने में चावल का इस्तेमाल न करें।
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