प्रचलित मान्यता है कि मीराबाई द्वारिकानाथ में समा गईं थीं; जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा इसका सैद्धांतिक समाधान!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 363
साधक का प्रश्न ::: मीराबाई द्वारिकानाथ में समा गईं ऐसा कहा जाता है। क्या ये सत्य है?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: कहाँ द्वारिका में समा गई? द्वारिकानाथ नहीं द्वारका जी में। द्वारिकानाथ वहाँ खड़े थे क्या? कौन हैं द्वारिकानाथ? द्वारिकानाथ भगवान श्रीकृष्ण हैं न। तो कृष्ण वहाँ पत्थर में हैं क्या? श्रीकृष्ण तो गोलोक में रहते हैं। वो गोलोक चली गई मीरा। बात खतम।
पत्थर की मूर्ति में कोई नहीं समाता। वो तो भगवान के लोक चले जाते हैं महापुरुष लोग और भगवान भी अपने लोक को जायेंगे जब लीला समाप्त हो जायेगी। बस हो गया। अब वो पैदल गये, कि साइकिल से गये, कि मोटर साइकिल से गये इससे क्या मतलब है। भगवान को जाना है चाहे जिस तरह से जायें। ये सवाल करने वाले बेवकूफ हैं। तुमको इन बातों से क्या मतलब पड़ा था।
कभी ये प्रश्न नहीं करना। किसी अवतार में किस प्रकार अन्तर्धान होते हैं, किसी अवतार में कैसे! बाण मारा बहेलिये ने श्रीकृष्ण को और अन्तर्धान हो गये। बाण मारने की जरूरत क्या थी ऐसे ही अन्तर्धान हो जाते। लीला करना है जैसे भी लीला करें। उन पर प्रतिबन्ध नहीं। गौरांग महाप्रभु के लिये कोई बता दे कि वो ऐसे गये थे। तो उसको जानकर फायदा क्या हुआ तुम्हारा? वो तो चले गये।
उनके सिद्धान्त का पालन करो जो कुछ उन्होंने बताया है जीवों के लिये वो करो तो उससे लाभ हो। भगवान के अवतार हुये हैं या होंगे सब समझे रहो कि वो अंतिम समय में वो अपने लोक को जायेंगे। जाने का तरीका वो चाहे संसार को दिखा दें। मूर्ति में लीन हो गये ये दिखा दें, समुद्र में लीन हो गये ये दिखा दें, गायब हो गये ये दिखा दें। वो तो अनेक नाटक कर सकते हैं, इसमें क्या है, वो तो खेल करने आये ही हैं। भगवान बन करके तो भगवान आ नहीं सकते। वो तो लीला करने आये हैं। लीला में तो सभी बातें हो सकती हैं। लीला में रस लेना चाहिये बस। ये कहते हैं वो भी ठीक है। एक आदमी कहता है कि नहीं नहीं हमने सुना है कि पेड़ पर चढ़कर गायब हुये थे, वो भी ठीक है। क्या बात है आपको एतराज क्या है। वे चले गये बस हो गया। तो आप पूछेंगे कि क्या सबूत। आप खड़े थे वहाँ? तो ऐसी बहस में क्यों पड़ा जाय। बात समझो। वो कैसे भी जा सकते हैं जैसी उनकी इच्छा हो वैसे जा सकते हैं। उनके ऊपर कोई कायदा कानून नहीं है। कोई यमराज उनसे नहीं कहेगा कि ऐसा करो।
ध्रुव जी जब भगवान के लोक को गये तो यमराज आया, अपना सिर झुका करके उनके आगे खड़ा हो गत पुष्पक विमान के साथ। उसके ऊपर पैर रख कर के ध्रुव जी चढ़ गये विमान के ऊपर। तो यमराज आता है महापुरुष के पास भी लेकिन उनके चरण स्पर्श चाहने के लिये आता है। वो ये नहीं कह सकता कि ऐसा करना होगा तुमको। तो भगवान को क्या कहेगा वो।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज
०० स्त्रोत : 'साधन साध्य' पत्रिका, जुलाई 2017 अंक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित : राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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