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 एक ऐसी रूसी महिला.. जो बनी पहली विदेशी योग गुरू
12 मई का इतिहास एक ऐसी रुसी महिला से जुड़ा है जो 1927 में भारत की ओर आकर्षित हुईं और जहाज पर सवार हो कर यहां पहुंच गई। जानिए कि उन्होंने क्या किया। ये कहानी है यूजीन पीटरसन की। इनका जन्म रूस में 12 मई के दिन 1899 में हुआ था। 15 साल की उम्र में उन्होंने रवीन्द्र नाथ टैगोर की और योगी रामचक्र की किताबें पढ़ी और उनसे वह इतनी आकर्षित हुईं कि भारत आने की चाह उनके मन में पैदा हुई।
 1927 में वो भारत आने के लिए जहाज पर सवार हुई और उन्होंने अपने लिए एक ऐसा नाम चुन लिया जो भारतीय लगता था। उन्होंने खुद को इंद्रा देवी कहना शुरू किया। वह पहली ऐसी विदेशी महिला थीं जो तिरुमलैई कृष्णमाचार्य की योग छात्रा बनी और फिर योग शिक्षक के रूप में दुनिया के कई देशों में गई। इतना ही नहीं रिगा में पैदा हुई यूजीन उर्फ इंद्रा ने कुछ हिन्दी फिल्मों में भी काम किया।
 मशहूर योग गुरू कृष्णमाचार्य ने भी उन्हें तभी छात्रा के रूप में स्वीकार किया जब मैसूर के महाराज ने खुद उनके लिए अनुरोध किया। 1938 में इंद्रा देवी पहली विदेशी योग गुरू बनी। जितनी भी चुनौतियां गुरू ने उनके लिए रखी वो सब उन्होंने पूरी कीं। जब इंद्रा देवी का भारत छोडऩे का मौका आया तो कृष्णमाचार्य ने खुद उनसे कहा कि वह योग शिक्षक के रूप में काम कर सकती हैं। उन्होंने चीन, अमेरिका, सहित अर्जेंटीना में योग शिक्षा दी। 1982 में वे अर्जेंटीना चली गईं। 1987 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय योग फेडरेशन का अध्यक्ष बनाया गया। 102 साल की उम्र में साल 2002 में उनकी ब्यूनस आयर्स में मौत हुई।

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