कोविड की जांच के लिए बनाई गई 'इलेक्ट्रिक नाक', सूंघकर ही लगा लेगी पॉजिटिव मरीजों का पता
अभी हाल ही में अपने देश में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने रैपिड एंटीजन टेस्ट को मंजूरी दी थी। साथ ही एक एडवाइजरी भी जारी की थी, जिसमें मायलैब कोविड-19 होम टेस्ट को घर पर करने का तरीका और सावधानी के बारे में बताया गया था। अब एक और नई तकनीक कोरोना (कोविड-19) की जांच के लिए सामने आई है। ये तकनीक इजरायल में पेश की गई है। इजराइल के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक का विकास किया है, जिसके माध्यम से आसानी से कोरोना की जांच की जा सकती है। इस तकनीक का नाम है 'इलेक्ट्रिक नाक' । वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि इस नाक के प्रयोग से 94 फीसदी तक कोरोना के सही परिणाम सामने आएंगे।
कैसे काम करती है इलेक्ट्रिक नाक?
बता दें कि यह तकनीक विजन इंस्टीट्यूट इजरायल के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई है। उन्होंने जानकारी दी है कि यह एक 3 डी प्रिंटेड इलेक्ट्रॉनिक नाक है, जिसे नाक में लगाकर प्रयोग किया जा सकता है। जब कोरोना संक्रमित नाक को अपनी नाक में लगाता है तो नाक के अंदर जो रसायन मौजूद होते हैं उनकी इलेक्ट्रिक नोज जांच करके परिणाम बताता है कि मरीज सकारात्मक है या नकारात्मक। अब सवाल यह है कि वह रसायन की स्मैल को यह नोज को कैसे पहचानते हैं? बता दें कि शोधकर्ताओं के अनुसार, हर बीमारी की अपनी एक खुशबू होती है। ऐसे में उस खुशबू से शरीर के मेटाबॉलिक प्रोसेस में बदलाव होता है। इसी फार्मूले का इस्तेमाल नई जांच को तैयार करने के दौरान किया गया है। ऐसे में यह पेन नाक में वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स की जांच करने में कारगर है।
यह एक लंबी ट्यूब की तरह होती है, जिसमें खास सेंसर लगे हैं। ऐसे में यह नाक के अंदर मौजूद वायरस का पता लगाती है इसलिए इसका नाम पेन 3 रखा गया है।
कैसे की गई इस नई तकनीक की जांच?
इस नई तकनीक की जांच के लिए 503 लोगों की मदद ली गई। उन लोगों से इलेक्ट्रिक नोज देकर सूंघने के लिए कहा गया, जिसके दौरान 27 लोगों की रिपोर्ट कोरोना वायरस पॉजिटिव आई। ये जानकारी नई तकनीक ने एक दम सटीक दी है। प्रोफेसर सोबेन के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस तकनीक का प्रयोग हम भीड़ वाले इलाकों में कर सकते हैं। इसके अलावा एयरपोर्ट पर भी इस तकनीक में इसका इस्तेमाल करना सुरक्षित है।
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