पहली बार मानव शरीर में लगाया गया सूअर का गुर्दा
अमेरिका में डॉक्टरों ने एक व्यक्ति के शरीर में सूअर के गुर्दे का सफलतापूर्वक प्रतिरोपण कर दिया है। इस ऑपरेशन को करने वाले डॉक्टर ने इसे "संभावित चमत्कार" बताया है। सर्जरी एक ऐसे व्यक्ति पर की गई जिसे दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दिया गया था। व्यक्ति वेंटीलेटर पर था और उसके परिवार ने विज्ञान की तरक्की के लिए दो दिन के इस प्रयोग को करने की अनुमति दी थी। डोनर जीव जेनेटिकली मॉडिफाइड था।
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय लैंगोन के प्रतिरोपण संस्थान के निदेशक रॉबर्ट मोंटगोमरी ने बताया, "उसने वो कर दिखाया जो उसे करना चाहिए था, मतलब मानव अपशिष्ट को निकालना और पेशाब बनाना। " गुर्दे ने एक और बेहद जरूरी काम भी किया। उसने मरीज के शरीर में क्रिएटिनिन नाम के मॉलिक्यूल के स्तर को भी कम कर दिया। क्रिएटिनिन गुर्दे के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। इस मरीज में प्रतिरोपण के पहले क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ था। मोंटगोमरी को कई सहकर्मियों के साथ मिल कर सर्जरी करने में करीब दो घंटे लग गए। इस टीम ने मरीज की एक टांग के ऊपरी हिस्से में मौजूद धमनियों को गुर्दे से जोड़ा ताकि वो उसका अवलोकन कर सकें और बायॉप्सी के लिए सैंपल ले सकें। मोंटगोमरी ने बताया कि मरीज जब दिमागी रूप से जीवित था तब अंगदान करना चाहता था लेकिन जब उसके परिवार को बताया गया कि उसके अंग दान के लिए योग्य नहीं हैं वो वो शुरू में निराश हो गए थे। लेकिन "जब उन्हें एहसास हुआ कि यह अंगदान का ही एक और अवसर है तो उन्होंने राहत की सांस ली। "
करीब 54 घंटों तक चले परीक्षण के बाद मरीज को वेंटीलेटर से हटा लिया गया और उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। इससे पहले शोध में पाया गया था कि सूअरों का गुर्दा बंदरों में एक साल तक काम करता है, लेकिन एक इंसान के शरीर पर यह कोशिश पहली बार की गई थी।
डोनर सूअर एक ऐसे समूह का हिस्सा था जिसकी जेनेटिक एडिटिंग की गई थी ताकि एक विशेष किस्म की चीनी को बनाने वाले एक जीन को निष्क्रिय किया जा सके। इस चीनी का अगर उत्पादन हो जाता तो यह एक मजबूत इम्यून प्रतिक्रिया को शुरू कर देती जिसकी वजह से अंग को अस्वीकार कर दिया जाता। बरमिंघम विश्वविद्यालय के सर्जन हाईनेक मरगेंटल ने एक बयान में कहा, "यह समाचार जेनोट्रांसप्लांटेशन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि है। " उन्होंने यह भी कहा कि अगर इसकी पुष्टि हो जाती है, तो "यह अंग प्रतिरोपण के क्षेत्र में आगे की तरफ एक प्रमुख कदम होगा जो डोनर अंगों की कमी की समस्या का समाधान कर सकेगा। "
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