ब्रेकिंग न्यूज़

अमेरिका के भारत पर घोषित जवाबी शुल्क के क्या हैं मायने...

नयी दिल्ली.  अमेरिका ने उसके बाजारों में आने वाले भारतीय सामानों पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क या आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क भारतीय सामानों के लिए चुनौतियां उत्पन्न करेंगे, लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में बेहतर बनी हुई है जिन्हें उनसे अधिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा। इन मुद्दों तथा अमेरिकी कदम के निहितार्थों को कुछ प्रश्न व उतर से समझें-
 प्रश्न. शुल्क क्या हैं?
 उत्तर. ये वस्तुओं के आयात पर लगाए गए सीमा शुल्क या आयात शुल्क हैं। आयातक को सरकार को यह शुल्क देना होता है। आम तौर पर, कंपनियां इनका बोझ उपयोगकर्ताओं पर डालती हैं।
 प्रश्न: जवाबी शुल्क क्या हैं?
 उत्तर: ये शुल्क व्यापारिक साझेदारों के शुल्कों में वृद्धि किए जाने या उच्च शुल्कों का मुकाबला करने के लिए देशों द्वारा लगाए जाते हैं..यह एक तरह के प्रतिशोधात्मक शुल्क हैं।
 प्रश्न: अमेरिका ने भारत पर कितना शुल्क लगाया है?
 उत्तर: भारत से आने वाले इस्पात, एल्युमीनियम और वाहन व उसके घटकों पर पहले ही 25 प्रतिशत शुल्क लगा है। शेष उत्पादों पर भारत पर पांच से आठ अप्रैल के बीच 10 प्रतिशत का मूल (बेस लाइन) शुल्क लगेगा। फिर नौ अप्रैल से शुल्क 27 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। इन कदमों से 60 से अधिक देश प्रभावित होंगे।
 प्रश्न: अमेरिका ने इन शुल्कों की घोषणा क्यों की है?
 उत्तर: अमेरिका का मानना है कि इन शुल्कों से अमेरिका में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार घाटे में कमी आएगी। अमेरिका को कुछ देशों, खासकर चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है। भारत के साथ अमेरिका का 2023-24 में 35.31 अरब अमरेकी डॉलर का व्यापार घाटा था।
 प्रश्न: इन शुल्कों से किन क्षेत्रों को छूट दी गई है?
 उत्तर: आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई)के विश्लेषण के अनुसार दवा, सेमीकंडक्टर, तांबा और तेल, गैस, कोयला व एलएनजी जैसे ऊर्जा उत्पाद जैसे आवश्यक एवं रणनीतिक वस्तुओं को इन शुल्कों के दायरे से बाहर रखा गया है।
 प्रश्न: इन शुल्कों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
 उत्तर: एक सरकारी अधिकारी के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 27 प्रतिशत जवाबी शुल्कों के प्रभाव का आकलन कर रहा है। हालांकि, यह भारत के लिए कोई झटका नहीं है। निर्यातक संगठनों के महासंघ फियो का कहना है कि भारत पर लगाया गया अमेरिकी शुल्क निःसंदेह घरेलू निर्यातकों के लिए चुनौती है, लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में तुलनात्मक रूप से बेहतर है। निर्यातकों ने कहा कि प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता घरेलू उद्योग को इन शुल्कों के संभावित प्रभाव से उबरने में मदद करेगा। जीटीआरआई ने कहा कि कुल मिलाकर अमेरिका की संरक्षणवादी शुल्क व्यवस्था भारत के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पुनर्संरेखण से लाभ उठाने के लिए मुख्य स्रोत का काम कर सकती है। हालांकि, इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए भारत को अपने व्यापार को आसान बनाना होगा, लॉजिस्टिक्स व बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा और नीति स्थिरता बनाए रखनी होगी।
 प्रश्न: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता क्या है?
 उत्तर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फरवरी में अमेरिकी यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने के उद्देश्य से इस समझौते पर बातचीत की घोषणा की थी। वे इस वर्ष की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य बना रहे हैं।
 प्रश्न: व्यापार समझौता क्या है?
 उत्तर: ऐसे समझौतों में दो व्यापारिक साझेदार या तो सीमा शुल्क को काफी कम कर देते हैं या अधिकतर वस्तुओं पर उन्हें समाप्त कर देते हैं। वे सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
 प्रश्न: अमेरिका ने भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर क्या शुल्क घोषित किए हैं?
 उत्तर: चीन पर 54 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत और थाइलैंड पर 36 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है।
 प्रश्न: क्या ये पारस्परिक शुल्क डब्ल्यूटीओ के अनुरूप हैं?
 उत्तर: अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत दास के अनुसार ये शुल्क स्पष्ट रूप से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करते हैं। यह एमएफएन (सबसे तरजीही राष्ट्र) दायित्वों तथा बाध्य दर प्रतिबद्धताओं दोनों का उल्लंघन करते हैं। डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश को इन शुल्कों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र का रुख करने का पूरा अधिकार है।
 प्रश्न: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार कितना है?
 उत्तर: वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। भारत का 2023-24 में अमेरिका के साथ वस्तुओं में 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष (आयात व निर्यात के बीच का अंतर) था। यह 2022-23 में 27.7 अरब अमेरिकी डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब अमेरिकी डॉलर, 2020-21 में 22.73 अरब अमेरिकी डॉलर और 2019-20 में 17.26 अरब अमेरिकी डॉलर था। अमेरिका को भारत के मुख्य निर्यात में 2024 में दवा निर्माण तथा जैविक (8.1 अरब अमेरिकी डॉलर), दूरसंचार उपकरण (6.5 अरब अमेरिकी डॉलर), कीमती व अर्ध-कीमती पत्थर (5.3 अरब डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (4.1 अरब डॉलर), सोना तथा अन्य कीमती धातु के आभूषण (3.2 अरब डॉलर), सहायक उपकरण सहित सूती तैयार वस्त्र (2.8 अरब डॉलर) और लोहा व इस्पात के उत्पाद (2.7 अरब डॉलर) शामिल है। आयात में कच्चा तेल (4.5 अरब डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (3.6 अरब डॉलर), कोयला, कोक (3.4 अरब डॉलर), तराशे व पॉलिश किए गए हीरे (2.6 अरब डॉलर), इलेक्ट्रिक मशीनरी (1.4 अरब डॉलर), विमान, अंतरिक्ष यान तथा कलपुर्जे (1.3 अरब अमेरिकी डॉलर) और सोना (1.3 अरब डॉलर) शामिल हैं।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english