आईआईटी टीम ने ज्यादा डेटा संग्रहण, तेज कंप्यूटेशन के लिए चुंबकीय रैम विकसित की
नई दिल्ली। डेटा संग्रहित करने की चिंता बहुत जल्द इतिहास बननी वाली है क्योंकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी के अनुसंधानकर्ता ऐसी चुंबकीय रैंडम एक्सेस मेमोरी (रैम) विकसित कर रहे हैं जो तेज है, कम ऊर्जा लेती है और मौजूदा डेटा संग्रहण प्रौद्योगिकियों की तुलना में कम मात्रा में ज्यादा डेटा संग्रहित करने में सक्षम होगी।
इस प्रौद्योगिकी को पेटेंट कराने की प्रक्रिया से गुजर रही टीम ने दावा किया है कि स्पिन ट्रांसफर टॉर्क (एसटीटी) आधारित सूक्ष्म स्पिनट्रोनिक उपकरण बिजली आपूर्ति में बाधा पहुंचने पर होने वाले डेटा नुकसान को भी रोकेगा और इस तरह इनमें अगली पीढ़ी के कंप्यूटर, स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों के निर्माण की क्षमता है।
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, चुंबकीय रैम जिसमें डेटा को इलेक्ट्रॉन के घुमाव से दर्शाया जाता है वह पारंपरिक चार्ज आधारित रैम की तुलना में ज्यादा बेहतर संग्रहण क्षमता उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि स्पिनट्रोनिक प्रौद्योगिकी पर काम करने वाला उपकरण इलेक्ट्रॉन के घुमाव का इस्तेमाल सूचना को तैयार और प्रसारित करने के लिए करता है जबकि सामान्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इलेक्ट्रॉन चार्ज का इस्तेमाल किया जाता है। चुंबकीय स्थिति का प्रयोग कर इलेक्ट्रॉन के घुमाव को काम में लाने को ही स्पिन ट्रांसफर टॉर्क-मैग्नेटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (एसटीटी-एमआरएएम) कहा जाता है।
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सह प्राध्यापक सतिंदर के शर्मा ने कहा, सार्वभौमिक मेमोरी उपकरणों में संग्रहण का घनत्व अधिक होना चाहिए, उनका संचालन और गैर परिवर्तनशीलता अत्यधिक तेज होनी चाहिए ताकि बिजली न रहने पर भी डेटा बचा रहे। आधुनिक समय में यह जरूरत ज्यादा प्रासंगिक हो गई है क्योंकि डिजिटल उपकरणों की अधिकता 2024 तक इतनी मात्रा में डेटा उत्पन्न करेंगे कि हर पल उसके लिए एक हजार अरब हार्ड ड्राइव्स की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा अर्धचालक रैम डेटा संग्रहण की इस व्यापक मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। इतना ही नहीं डेटा विज्ञान के विशेषज्ञों का अनुमान है कि मेमोरी क्षमता की मांग 2020 के अंत तक उसके उत्पादन से आगे निकल जाएगी। आईआईटी टीम का यह अनुसंधान प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका आईईईई ट्रांजैक्शन्स ऑन इलेक्ट्रॉन डिवाइसेस में प्रकाशित हुआ है।
--
Leave A Comment