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खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों के पास कोयले का भंडार सामान्य का सिर्फ 26 प्रतिशत
 नयी दिल्ली।   चिलचिलाती गर्मी के कारण बिजली की बढ़ती मांग के बीच कोयला खानों से काफी दूरी पर स्थित (नॉन पिटहेथ) ताप बिजलीघरों में कोयला भंडार का संकट पैदा होता दिख रहा है। इन बिजली संयंत्रों के पास गत गुरुवार तक  सामान्य का मात्र 26 प्रतिशत कोयला भंडार था। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कोयले की कमी संभावित बिजली संकट का कारण बन सकती है। ऐसे संयंत्रों को कोयला आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है। खानों से दूर स्थित ताप बिजलीघरों के पास सामान्य का सिर्फ 26 प्रतिशत भंडार अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता।       नॉन-पिटहेड ताप बिजलीघर कोयलों खानों से काफी दूर होते हैं और इन संयंत्रों में कोयला भंडार काफी महत्व रखता है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सोमवार (18 अप्रैल) से बृहस्पतिवार (21 अप्रैल) तक लगभग 163 गीगावॉट की कुल उत्पादन क्षमता वाले 155 नॉन-पिटहेड ताप बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार मानक या सामान्य स्तर का 26 प्रतिशत था। सीईए लगभग 202 गीगावॉट की कुल उत्पादन क्षमता वाले 173 बिजली संयंत्रों में कोयले भंडार की निगरानी करता है। इनमें लगभग 39 गीगावॉट की कुल उत्पादन क्षमता वाली 18 पिटहेड परियोजनाएं शामिल हैं। कोयला खानों के नजदीक (पिटहेथ) स्थित ताप बिजली घरों के समक्ष सामान्य तौर पर कोयले की कमी की समस्या नहीं आती। आंकड़ों के अनुसार  21 अप्रैल, 2022 को कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों के पास 57,033 हजार टन के मानक स्तर के मुकाबले 14,610 हजार टन कोयले का भंडार था। यह सामान्य स्तर का मात्र 26 प्रतिशत बैठता है। हाल के दिनों में खानों से दूर स्थित संयंत्रों में कोयले के भंडार की स्थिति और खराब हुई है। 21 मार्च, 2022 को ऐसे 155 बिजली संयंत्रों के पास कोयले का भंडार 57,616 हजार टन के सामान्य स्तर का 31 प्रतिशत यानी 17,752 हजार टन था। राष्ट्रीय ग्रिड परिचालक पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन के आंकड़ों के अनुसार, 22 अप्रैल, 2022 को व्यस्त समय में बिजली की अधिकतम मांग या एक दिन में सबसे ऊंची आपूर्ति 197 गीगावॉट थी, जबकि व्यस्त समय की बिजली की कमी छह गीगावॉट थी। 22 अप्रैल, 2021 को व्यस्त समय की अधिकतम पूरी की गई बिजली की मांग 167 गीगावॉट और अधिकतम बिजली की कमी 0.63 गीगावॉट थी। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे स्पष्ट पता चलता है कि गर्मियां जल्दी आने से मांग करीब 30 गीगावॉट या 17 प्रतिशत बढ़ी है।
 

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