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एफसीआई ने ई-नीलामी के पहले दिन थोक उपभोक्ताओं को 8.88 लाख टन गेहूं बेचा

नयी दिल्ली.  सरकारी स्वामित्व वाले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 22 राज्यों में ई-नीलामी के पहले दिन आटा चक्की मालिकों जैसे थोक उपभोक्ताओं को 8.88 लाख टन गेहूं बेचा है। खाद्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। एफसीआई ने गेहूं की घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए थोक उपयोगकर्ताओं को गेहूं बेचने के ध्येय से मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत एक फरवरी को गेहूं की ई-नीलामी शुरू की। पहले दिन, इसने ओएमएसएस के तहत निर्धारित 25 लाख टन के मुकाबले लगभग 22 लाख टन गेहूं की बिक्री की पेशकश की। मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘पहली ई-नीलामी में भाग लेने के लिए 1,100 से अधिक बोली लगाने वाले आगे आए। ई-नीलामी के पहले दिन 22 राज्यों में 8.88 लाख टन गेहूं की बिक्री की गई।'' राजस्थान में बृहस्पतिवार को बोली लगाई जाएगी।
गेहूं की आगे की बिक्री, प्रत्येक बुधवार को पूरे देश में ई-नीलामी के माध्यम से 15 मार्च तक जारी रहेगी। गेहूं को 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य और भाड़ा शुल्क के साथ पेश किया जा रहा है। एक खरीदार अधिकतम 3,000 टन और न्यूनतम 10 टन के लिए बोली लगा सकता है। पिछले महीने सरकार ने गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए ओएमएसएस के तहत अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने की योजना की घोषणा की थी। एफसीआई 30 लाख टन में से 25 लाख टन गेहूं, आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को ई-नीलामी के माध्यम से बेचेगा और दो लाख टन राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को बेचेगा। लगभग तीन लाख टन गेहूं ई-नीलामी के बिना केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ और नेफेड जैसे राज्य-सार्वजनिक उपक्रमों, सहकारी समितियों और संघों को 2,350 रुपये प्रति क्विंटल की रियायती दर पर दिया जाएगा, ताकि गेहूं को आटे में बदला जा सके और इसे 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य पर जनता को उपलब्ध कराया जा सके। मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) को सात राज्यों में ओएमएसएस के तहत 50,000 टन गेहूं का स्टॉक उठाने की अनुमति दी गई है। देश भर में आटे की कीमत कम करने के लिए इस योजना के तहत नेफेड और केंद्रीय भंडार को लगभग एक लाख टन गेहूं आवंटित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न माध्यमों से दो महीने की अवधि के भीतर एक योजना के माध्यम से 30 लाख टन गेहूं को बाजार में उतारने से इसकी व्यापक पहुंच सुनिश्चित होगी और साथ ही गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को रोकने में मदद मिलेगी और इससे आम आदमी को बहुत राहत मिलेगी।
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