सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने विश्व का सबसे बड़ा सौर वृक्ष विकसित किया
नई दिल्ली। सीएसआईआर-सीएमईआरआई (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) ने विश्व का सबसे बड़ा सौर पेड़ विकसित किया है, जिसे सीएसआईआर-सीएमईआरआई की आवासीय कॉलोनी, दुर्गापुर में स्थापित किया गया है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रो (डॉ.) हरीश हिरानी ने इसकी तकनीक के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस स्थापित सौर पेड़ की क्षमता 11.5 केडब्ल्यूपी से अधिक है। इसमें स्वच्छ और हरित ऊर्जा की 12 हजार-14 हजार इकाइयों को उत्पन्न करने की वार्षिक क्षमता है।
इस सौर वृक्ष को इस तरह से निर्मित किया गया है कि इसके प्रत्येक पैनल के द्वारा सूर्य के अधिकतम प्रकाश को प्राप्त करने और इसके नीचे के क्षेत्र में कम से कम छाया क्षेत्र को सुनिश्चित किया जा सके। प्रत्येक वृक्ष में हर पैनल में 330डब्ल्यूपी की क्षमता से युक्त कुल 35 सौर पीवी पैनल हैं। सौर पीवी पैनलों को पकडऩे वाले हत्थे का झुकाव लचीला है और इसे आवश्यकतानुसार समायोजित किया जा सकता है, यह सुविधा छत पर लगी सौर प्रणालियों में उपलब्ध नहीं है। इससे ऊर्जा उत्पादन आंकड़ों की निगरानी वास्तविक समय या दैनिक आधार पर की जा सकती है।
प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी ने बताया की सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित सौर वृक्ष में, दुनिया के सबसे बड़े सौर वृक्ष होने के अलावा विभिन्न स्थलों पर इसके अनुप्रयोग के लिए कुछ विशिष्ट विशेषताएं भी हैं। इन सौर वृक्षों को न्यूनतम छाया क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए इस तरह से निर्मित किया गया है कि इन सौर वृक्षों का उपयोग उच्च क्षमता वाले पंपों, ई-ट्रैक्टरों और ई-पावर टिलर जैसी कृषि गतिविधियों में व्यापक रूप से किया जा सके। इन सौर वृक्षों को अस्थिर-मूल्य जीवाश्म ईंधन के प्रतिस्थापन के रूप में कृषि के साथ जोड़ा जा सकता है। प्रत्येक सौर वृक्ष में जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा उत्पादन के दौरान वायुमंडल के लिए पैदा होने वाली ग्रीनहाउस गैसों की तुलना में 10-12 टन सीओ2 उत्सर्जन को बचाने की क्षमता है। इसके अलावा, अतिरिक्त उत्पन्न ऊर्जा को ऊर्जा ग्रिड में सुरक्षित रखा जा सकता है।
यह कृषि मॉडल एक सुसंगत आर्थिक प्रतिफल प्रदान कर सकता है और किसानों को कृषि संबंधी गतिविधियों में अनिश्चितताओं के प्रभावों का सामना करने में सहायता कर सकता है, इस प्रकार खेती को एक आर्थिक और ऊर्जा वहनीय लाभप्रद गतिविधि बना सकता है। प्रत्येक सौर वृक्ष की कीमत 7.5 लाख रुपये होगी और इच्छुक एमएसएमई अपने व्यवसायिक मॉडल को किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) योजना के साथ नवीकरणीय ऊर्जा आधारित ऊर्जा ग्रिड विकसित करने के लिए उपयोग में ला सकते हैं।
इस सौर वृक्ष में आईओटी आधारित सुविधाऐं अर्थात् कृषि क्षेत्रों में चौबीस घंटे सीसीटीवी निगरानी, वास्तविक समय पर आद्र्रता की स्थिति, हवा की गति, वर्षा की भविष्यवाणी और मिट्टी के विश्लेषण सेंसर का उपयोग करने की क्षमता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित सौर ऊर्जा संचालित ई-सुविधा कियोस्क को व्यापक कृषि डेटाबेस प्राप्त करने के साथ-साथ एकीकृत ऑनलाइन बाजार तक तत्काल और वास्तविक समय पर पहुंच के लिए ई-एनएएम यानी राष्ट्रीय कृषि बाजार के साथ सौर वृक्षों से जोड़ा जा सकता है। । यह सौर वृक्ष एक ऊर्जा विश्वसनीय और कार्बन रहित भारत बनाने की दिशा में एक अत्यंत व्यापक परिवर्तन है।
Leave A Comment