लोकसभा ने बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक-2020 पारित किया, वित्तमंत्री ने कहा- विधेयक से जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा होगी
नई दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक-2020 पारित कर दिया। विधेयक पर हुई चर्चा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा- विधेयक से जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि इससे देश में सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा हो सकेगी। उन्होंने महाराष्ट्र में पीएमसी बैंक का जिक्र करते हुए कहा कि नए कानून के बन जाने से ऐसी स्थितियों में छोटे जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा की जा सकेगी। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि कोरोना महामारी ने सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर डाला है। उन्होंने बताया कि देश में दो सौ 77 शहरी सहकारी बैंक खराब हालत में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इनमें से एक सौ पांच सहकारी बैंक न्यूनतम निर्धारित राशि रखने की स्थिति में नहीं है, जबकि 47 की शुद्ध लागत ऋणात्मक स्थिति में है।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा-3, धारा-45 और धारा-56 में संशोधन का प्रस्ताव है। इससे नियम कानून की दृष्टि से सहकारी बैंकों और वाणिज्यिक बैंकों में एकरूपता लाई जा सकेगी। इस विधेयक से भारतीय रिज़र्व बैंक सहकारी बैंकों के पुनर्गठन या विलय की योजना बना सकेगा और जमाकर्ताओं के हित में सही प्रबंधन की व्यवस्था भी कर सकेगा।
सहकारी समितियों द्वारा कृषि के विकास और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को दीर्घावधि पूंजी उपलब्ध कराए जाने के बारे में कुछ सदस्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इन्हें इस विधेयक के दायरे में नहीं रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जो सहकारी समितियां अपने नाम के साथ बैंक शब्द का इस्तेमाल नहीं करती हैं और चेकों का समाशोधन नहीं करतीं हैं उन्हें इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है। कांग्रेस, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक को देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया।
वित्तमंत्री ने बहस का उत्तर देते हुए कहा कि यह विधेयक संघीय सूची के विषयों से संबंधित है, इसलिए इस पर राज्यों से विचार-विमर्श करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल समवर्ती सूची के विषयों पर राज्यों से परामर्श आवश्यक है।
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